सहज रूप से सोचें तो यही लगता है कि बैक्टीरिया से लड़ना हो तो दो अलग-अलग तरीकों का मिला-जुला इस्तेमाल करना बेहतर होगा। मगर ताज़ा शोध बताता है कि यह सही नहीं है।
बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ाई के दो तरीके हैं। एक है बैक्टीरिया-रोधी दवाइयों का उपयोग। बैक्टीरिया-रोधी दवाइयां उन्हें कहते हैं जो बैक्टीरिया को मारती नहीं बल्कि उनकी वृद्धि व प्रजनन को रोक देती हैं। दूसरा तरीका है एंटीबायोटिक दवाइयों के इस्तेमाल का। एंटीबायोटिक बैक्टीरिया के जीवन चक्र में हस्तक्षेप करके उन्हें मार डालते हैं। तो यह लगना स्वाभाविक है कि एक दवा बैक्टीरिया की वद्धि को रोकेगी तो दूसरी उसे आसानी से मार सकेगी। मगर वॉशिंगटन विश्वविद्यालय की पेट्रा लेविन और कोरी वेस्टफॉल द्वारा किए गए प्रयोगों से लगता है कि यह सहज निष्कर्ष सही नहीं है। वास्तव में ट्रिक्लोसैन नामक एंटी-बैक्टीरियल दवा एंटीबायोटिक को काम करने से रोकती है।

ट्रिक्लोसैन काफी प्रचलित एंटी-बैक्टीरियल है जिसका उपयोग साबुनों, सौंदर्य प्रसाधनों, टूथ पेस्टों के अलावा खिलौनों तक में किया जाता है। लेविन और वेस्टफॉल ने प्रयोगों में देखा कि ट्रिक्लोसैन एक अत्यंत प्रतिरोधी बैक्टीरिया एमआरएसए की मदद करती है।
सूक्ष्मजीव वैज्ञानिक लेविन व वेस्टफॉल ने ई. कोली नामक बैक्टीरिया को कुछ प्रचलित एंटीबायोटिक दवाइयों के संपर्क में रखा। साथ में ट्रिक्लोसैन भी दिया गया। जब उन्होंने स्ट्रेप्टोमायसिन या सिप्रॉफ्लॉक्सेसिन जैसे एंटीबायोटिक के साथ ट्रिक्लोसैन का इस्तेमाल किया तो ई. कोली की जीवित रहने की क्षमता 10,000 गुना तक बढ़ गई बनिस्बत उस स्थिति के जब मात्र एंटीबायोटिक दिए गए। एम्पिसिलीन के मामले में तो एंटीबायोटिक लगभग नाकाम रहा यानी ट्रिक्लोसैन ने बैक्टीरिया को लगभग सौ फीसदी सुरक्षा प्रदान कर दी।

शोधकर्ताओं का मत है कि ट्रिक्लोसैन के प्रभाव से बैक्टीरिया की वृद्धि रुक जाती है और वह सुप्तावस्था में चला जाता है। सुप्त पड़े बैक्टीरिया में वे सारे लक्ष्य भी ओझल हो जाते हैं जिन पर एंटीबायोटिक हमला करते हैं। लिहाज़ा बैक्टीरिया एंटीबायोटिक की खुराक को झेलने में समर्थ हो जाता है। लेविन और वेस्टफॉल ने सबसे चिंताजनक बात यह देखी कि ट्रिक्लोसैन एमआरएसए बैक्टीरिया के खिलाफ वेंकोमायसिन को भी नाकाम कर देता है जबकि वेंकोमायसिन हमारे पास आखरी शस्त्र है।
इन प्रयोगों से स्पष्ट है कि ट्रिक्लोसैन की उपस्थिति में बैक्टीरिया को ज़्यादा जीने में मदद मिलती है। इस तरह उसे प्रतिरोध हासिल करने में भी मदद मिल सकती है। ट्रिक्लोसैन के प्रतिकूल प्रभावों को देखते हुए यूएस खाद्य व औषधि प्रशासन इसके उपयोग पर और भी सख्त प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। (स्रोत फीचर्स)