जेनेटिक रूप से परिवर्तित यानी जीएम जीव पिछले वर्षों में विवाद के केंद्र में रहे हैं। खास तौर से मानव स्वास्थ्य व पर्यावरण पर इनके संभावित असर को लेकर काफी शंकाएं रही हैं। अब यूएस के फ्लोरिडा प्रांत के एक क्षेत्र कीवेस्ट में जीएम मच्छर छोड़ने की योजना बनाई गई है।
इन मच्छरों का विकास यूके की एक कंपनी ऑक्सीटेक ने किया है और इनमें से नर मच्छरों की विशेषता यह है कि इनकी संतानें जल्दी ही मर जाती हैं। ये संतानें प्रजनन के लिए तैयार हो ही नहीं पातीं। इसका मतलब हुआ कि पर्यावरण में इन जीएम नर मच्छरों को छोड़ने पर कई सामान्य मादा मच्छर इनके साथ समागम करेंगी और संतानें पैदा करेंगी जो प्रौढ़ होने से पहले ही मर जाएंगी। इस तरह से, उम्मीद है कि मच्छरों की आबादी पर नियंत्रण हासिल हो पाएगा।
मच्छरों की आबादी पर नियंत्रण खास तौर से मलेरिया, ज़ीका और डेंगू जैसे रोगों पर अंकुश लगाने के मकसद से किया जा रहा है। ये रोग मच्छरों के माध्यम से ही फैलते हैं। इससे पहले ब्राज़ील के पिरासिकाबा क्षेत्र में ऐसे जीएम मच्छरों का परीक्षण किया जा चुका है। इनके उपयोग का असर यह हुआ कि उस इलाके में डेंगू के मामलों में 90 प्रतिशत की कमी आई थी।
फ्लोरिडा प्रांत के लोगों ने मतदान के ज़रिए जीएम मच्छरों के उपयोग को स्वीकृति दे दी है। मगर रोचक बात यह है कि खुद कीवेस्ट, जहां ये मच्छर छोड़ने की योजना है, के 65 प्रतिशत लोग इस कदम के खिलाफ हैं। कीवेस्ट के नागरिकों द्वारा एक ऑनलाइन याचिका पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं। इसमें कहा गया है कि यह परीक्षण स्थानीय पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा। याचिका में बताया गया है कि ऐसे परीक्षण समस्याओं के जवाब तो कम देते हैं, उल्टे सवाल ही ज़्यादा पैदा करते हैं। (स्रोत फीचर्स)