पौधों और जंतुओं के जीनोम में ऐसे कई जीन्स पाए जाते हैं जो उनमें लाखों वर्ष पहले तब जुड़ गए थे, जब वायरसों ने उन्हें संक्रमित किया होगा। आम तौर पर ऐसे जीन्स अक्रिय पड़े रहते हैं किंतु अब वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि इनमें से कुछ जीन्स कोशिकाओं के आपसी संवाद में मदद करते हैं।
दो अलग-अलग शोध समूहों को इस बात का पता क्रमश: चूहों और ड्रॉसोफिला नामक मक्खी के अध्ययन के दौरान चला। ऊटा विश्वविद्यालय के जेसन शेफर्ड और मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय के चिकित्सा केंद्र के विवियन बुडनिक के नेतृत्व में ये दो दल दरअसल कोशिकाओं में बनकर बाहर निकलने वाली थैलियों (कोशिका-बाह्र आशयों अर्थात एक्स्ट्रा-सेल्यूलर वेसिकल्स) का अध्ययन कर रहे थे।

कोशिका-बाह्र आशय कोशिका की झिल्ली से बनते हैं और कोशिकाओं के बीच तरल पदार्थ में तैरकर शरीर की यात्रा करते रहते हैं किंतु इनके काम के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है। शेफर्ड और बुडनिक ने तंत्रिका कोशिकाओं से बनने वाले कोशिका-बाह्र आशय का विश्लेषण करने पर पाया कि इनमें आर्क नामक एक जीन पाया जाता है। यदि किसी चूहे में आर्क जीन न हो तो उसे दीर्घावधि स्मृतियां बनाने में दिक्कत होती है। ऐसा लगता है कि यह जीन कोशिका-बाह्र आशय के ज़रिए तंत्रिकाओं के बीच समन्वय बनाने का काम करता है।

जब शेफर्ड और बुडनिक ने चूहे और ड्रॉसोफिला के आर्क के क्षार क्रम का विश्लेषण किया तो पता चला कि इन दोनों के आर्क जीन्स में काफी समानता है। और ये दोनों ही एक वायरस जीन गैग से समानता रखते हैं। एचआईवी जैसे वायरस गैग प्रोटीन का उपयोग अपनी जेनेटिक सामग्री के आसपास एक खोल बनाने के लिए करते हैं। और यही खोल उन्हें एक से दूसरी कोशिका में पहुंचने में मददगार होती है।
चूहों और ड्रॉसोफिला के आर्क प्रोटीन की सूक्ष्मदर्शी जांच से पता चला कि ये भी उसी प्रकार का आवरण बना लेते हैं और अपने साथ जेनेटिक सूचना लेकर चलते हैं। इस आवरण युक्त प्रोटीन को ही कोशिका-बाह्र आशय के रूप में कोशिका से बाहर निकाल दिया जाता है। कोई गैर-वायरस प्रोटीन ऐसा आवरण नहीं बनाता।

बुडनिक की टीम ने आगे अध्ययन में देखा कि जो क्रियाकारी तंत्रिकाएं मांसपेशियों से जुड़ती हैं और उन्हें निर्देश देती हैं कि उन्हें कब सिकुड़ना है, वे आर्क युक्त कोशिका-बाह्र आशय बनाती हैं। ये आशय जाकर मांसपेशीय कोशिकाओं से जुड़कर उनमें विलीन हो जाते हैं। जिन मक्खियों में यह जीन नहीं होता उनमें ऐसे जुड़ाव भी कम बनते हैं। शेफर्ड ने यही स्थिति चूहों में भी देखी। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि तंत्रिकाओं से बनने वाले ये कोशिका-बाह्र आशय मांसपेशीय कोशिकाओं के अंदर जाकर क्या करते हैं किंतु शेफर्ड व बुडनिक दोनों को लगता है कि संभवत: आर्क प्रोटीन तंत्रिकाओं के बीच सम्बंध बनाने व तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता होगा।
सेल नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित इन दोनों शोध पत्रों से पता चलता है कि यह शोध का एक सर्वथा नया विषय हो सकता है। (स्रोत फीचर्स)