ऑस्ट्रेलिया के रेगिस्तान में एक छिपकली पाई जाती है जिसका नाम है कंटीली शैतान। इसके पूरे शरीर पर कांटे पाए जाते हैं। जीव वैज्ञानिक इसे ä Moloch horridus  कहते हैं। इसकी एक विशेषता यह है कि यह अपने पूरे शरीर से पानी पीती है। एक मायने यह इसकी मजबूरी भी है। इसके मुंह की रचना खास तौर से चीटियां खाने के लिए बनी है। इसके चलते यह मुंह से सीधे पानी नहीं पी सकती।
जर्मनी के आर.डब्लू.टी.एच. आचेन विश्वविद्यालय के फिलिप कोमैन्स ने ऐसी पांच छिपकलियों का अध्ययन करके जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी में बताया है कि यह अपनी पूरी त्वचा से पानी को सोखकर उसे मुंह की ओर भेजती है जहां इसे निगल लिया जाता है। दरअसल उन्होंने पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया से पांच कंटीली शैतान पकड़ीं और उनका अध्ययन अपनी प्रयोगशाला में किया।

जब इन छिपकलियों को पानी के बीच में रखा गया तो 10 सेकंड के अंदर ही इनका मुंह खुलने और बंद होने लगा। देखा गया कि पूरी त्वचा से पानी बारीक नालियों से होकर मुंह तक पहुंच रहा है। मगर कोमैन्स की टीम को लगा कि यह तो उनकी प्राकृतिक स्थिति नहीं है। रेगिस्तान में इन्हें ऐसे पानी भरे गड्ढे कहां मिलेंगे। तो उन्होंने प्रयोगशाला में रेगिस्तान की परिस्थिति निर्मित की।
रेगिस्तान में ओस के कारण रेत में काफी नमी हो जाती है। जब इन छिपकलियों को ऐसी गीली रेत में रखा गया तो इन्होंने खुद की पीठ पर वह रेत बिछा ली। अब इनके शल्कों के बीच जो जगह थी वह नालियों के समान काम करने लगी। एक मायने में शल्कों के बीच की यह जगह स्ट्रॉ की भूमिका अदा कर रही थी। मगर मात्र गीली रेत पर पड़े रहने से काम नहीं बनता। यदि सिर्फ पैर और पेट वाला हिस्सा ही गीली रेत के संपर्क में रहे तो त्वचा पर उपस्थित सारी नालियां पानी से नहीं भर पातीं। इसलिए कंटीली शैतान को रेत अपनी पीठ पर भी बिछाना होती है।
कौमेन्स को लगता है कि कंटीली शैतान की पानी पीने की इस विचित्र विधि को समझकर कई उपयोगी उत्पाद बनाए जा सकते हैं। जैसे इस विधि से हम रेगिस्तान में पानी इकट्ठा करने की जुगाड़ जमा सकते हैं। इस विधि का उपयोग हायजीन उत्पादों के निर्माण के अलावा इंजिनों के लुब्रिकेशन को बेहतर बनाने के लिए भी किया जा सकता है। (स्रोत फीचर्स)