डॉ. अरविन्द गुप्ते

जीवशास्त्र की पाठ्यपुस्तकों में प्रजाति (स्पीशीज़) की परिभाषा यह दी जाती है कि एक प्रजाति के नर और मादा ही आपस में प्रजनन कर सकते हैं, दो अलग-अलग प्रजातियों के नहीं कर सकते। जीवशास्त्र की एक अन्य अवधारणा यह है कि जैव विकास के दौरान मौजूदा प्रजातियों से नई प्रजातियां बनती हैं, किंतु इस प्रक्रिया में लाखों वर्ष लग जाते हैं और यह प्रक्रिया सौ-दो सौ वर्षों में नहीं हो जाती।
कनाडा में एक ऐसा रोचक उदाहरण सामने आया है जिसने इन दोनों अवधारणाओं को चुनौती दी है। इस देश का ओन्टारिओ प्रदेश घने जंगलों से ढंका होता था। इस प्रदेश के दक्षिणी भाग में बाहर से आकर लोग बस गए और खेती के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई हुई।
इसके फलस्वरुप जंगलों में रहने वाले इन भेड़ियों (canis lupus) के सामने दोहरा संकट खड़ा हो गया। एक तो उनके प्राकृतिक आवास नष्ट होने लगे और दूसरे, इस क्षेत्र के किसानों ने उन्हें मारना शुरु  कर दिया।

इसके विपरीत, इसी क्षेत्र में रहने वाली कोयोटी (canis latrans) नामक भेड़ियों से मिलती-जुलती प्रजाति के लिए यह फायदेमंद साबित हुआ। उन्होंने न केवल भेड़ियों के खाली स्थानों में फैलना शु डिग्री किया, बल्कि मनुष्य की बस्तियों में घुसकर पालतू पशुओं का शिकार करना भी शुरु कर दिया। मांसाहारी होने के अलावा कोयोटी फल, सब्ज़ियां, कूड़े में पड़ी जूठन आदि भी खा लेते हैं। वे आकार में भेड़ियों से छोटे होते हैं और इनका व्यवहार लोमड़ियों से काफी मिलता-जुलता है।  
मनुष्य के साथ कुत्ते (canis familiaris) भी इस क्षेत्र में आ गए। इस प्रकार, इस क्षेत्र में कैनिस जीनस (वंश) की तीन प्रजातियां रहने लगीं। किंतु भेड़ियों के सामने अस्तित्व बचाने के अलावा एक और संकट खड़ा हो गया - यह था मादाओं की कमी। लगभग सौ-दो सौ वर्षों पहले इसका हल उन्होंने यह निकाला कि नर भेड़ियों ने कोयोटी और कुत्तों की मादाओं के साथ प्रजनन करना शु डिग्री कर दिया।
जीव जगत की यह विशेषता है कि इसमें भौतिक शास्त्र या रसायन शास्त्र के समान कठोर नियम नहीं होते। आप कोई भी नियम बनाइए और प्राय: उसका अपवाद निकल आता है। यही हाल प्रजाति की परिभाषा का है। पौधों में तो विभिन्न प्रजातियों का आपस में प्रजनन आम बात है, किंतु जंतुओं में भी इसके अपवाद मिल जाते हैं। खच्चर का उदाहरण तो सबको पता है जो दो अलग-अलग प्रजातियों - घोड़े और गधे - के आपस में प्रजनन करने से बनता है। ऐसी संतान को वर्णसंकर (हाइब्रिड) कहते हैं। किंतु आम तौर पर जंतुओं के वर्णसंकर बंध्य होते हैं यानी वे प्रजनन नहीं कर सकते, जैसे खच्चर। किंतु भेड़िए, कुत्ते और कोयोटी के डीएनए के मिश्रण से बना यह जंतु अपवाद निकला और प्रजनन करने की क्षमता होने के कारण उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भाग में इतनी तेज़ी से फैला कि अब उसकी संख्या लाखों में पहुंच गई है। इस जंतु को “कोयवुल्फ” नाम दिया गया है। कभी-कभी इसे ‘वोयोटी’ भी कहा जाता है। कोयवुल्फ में भेड़िए का बड़ा आकार और साथ में अधिक मज़बूत जबड़े और पेशियां होती हैं और यह बहुत तेज़ भाग सकता है। अत: इनका झुंड हिरन का भी शिकार कर सकता है। यह कोयोटी के समान खुले में भी शिकार कर सकता है और भेड़िए के समान घने जंगल में भी।

अमेरिका के पेपरडाइन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हावीएर मोन्जो ने कोयवुल्फ का आनुवंशिक विश्लेषण करके यह पाया कि इस जंतु का अधिकांश डीएनए कोयोटी का होता है जबकि दस प्रतिशत कुत्ते का तथा एक-चौथाई भेड़िए का होता है। इस मिश्रण के कारण कोयवुल्फ को कई लाभदायक गुण मिल गए हैं। उनमें कोयोटी की चालाकी और शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन खा सकने की क्षमता होती है। इसी प्रकार, मनुष्य के समीप रह सकने और ध्वनि प्रदूषण सह सकने के कुत्ते के गुण भी आ गए हैं। भेड़िए तो आम तौर पर मनुष्य सेे दूर रहना पसंद करते हैं और उनमें शोर सहने की क्षमता भी कम होती है। मगर कुत्तों उक्त गुण हासिल करके कोयवुल्फ बड़े शहरों में भी घुसपैठ कर लेते हैं। वे यह भी सीख गए हैं कि सड़क पार करते समय दोनों तरफ देखना चाहिए।
अमेरिका के नॉर्थ केरोलिना स्टेट विश्वविद्यालय के डॉ. रोलां केज का मानना है कि नई प्रजाति बनने का यह अनोखा नाटक हमारी आंखों के सामने घटित हो रहा है, यद्यपि कोयवुल्फ को एक नई प्रजाति माना जाए या नहीं इसके बारे में अभी विवाद है। प्रजाति की रुढ़िगत परिभाषा के अनुसार भिन्न प्रजातियां आपस में प्रजनन नहीं कर सकतीं, किंतु जिस प्रकार से कोयवुल्फ कुत्तों और कोयोटी के साथ प्रजनन कर रहे हैं, उन्हें अलग प्रजाति नहीं माना जा सकता। इसके विपरीत, यदि भेड़ियों ने कोयोटी और कुत्तों के साथ प्रजनन करना शुरु किया तो क्या इन तीनों को एक ही प्रजाति माना जाए? इस सबके चलते फिलहाल कोयवुल्फ को एक अलग प्रजाति का नाम नहीं दिया गया है - इसे canis lupus x canis latrans कहा जाता है। इस उदाहरण से यह प्रमाणित होता है कि जैव विकास पूरी तरह सख्त नियमों से बंधी एकदम सीधी-सरल प्रक्रिया नहीं होती। (स्रोत फीचर्स)