शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि यदि चूहों के भोजन में एक अमीनो अम्ल न हो तो शरीर में रक्त कोशिका बनाने वाली स्टेम कोशिकाओं का बनना रुक जाता है। यदि यह बात मनुष्यों पर भी लागू होती है तो कैंसर का एक नया इलाज विकसित किया जा सकेगा। इसके अलावा इस नए तरीके का उपयोग उन मरीज़ों के मामले में भी किया जा सकेगा जिनमें अस्थि मज्जा का प्रत्यारोपण किया जाता है।
अमीनो अम्ल दरअसल प्रोटीन के निर्माण की इकाइयां हैं। हमारे शरीर में सारे प्रोटीन 19 अलग-अलग अमीनो अम्लों को विभिन्न क्रमों में जोड़कर बनते हैं। इनमें से एक अमीनो अम्ल वैलीन होता है। कैलीफोर्निया और जापान के शोधकर्ताओं के एक संयुक्त दल ने साइन्स नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित अपने शोध पत्र में बताया है कि जब चूहों को दो से चार सप्ताह तक वैलीन से वंचित किया गया तो उनमें नई रक्त कोशिकाएं बनना पूरी तरह रुक गईं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक प्रयोगशाला में यह भी दिखा है कि मनुष्य की रक्त की स्टेम कोशिकाएं भी वैलीन की उपस्थिति पर निर्भर होती हैं। उन्हें वैलीन न मिले तो वे संख्यावृद्धि नहीं कर पातीं। यदि यह बात सही है तो अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण से पहले कीमोथेरपी या विकिरण की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। किसी मरीज़ को किसी अन्य व्यक्ति की अस्थि मज्जा देने की ज़रूरत तब पड़ती है जब उसकी अस्थि मज्जा की स्टेम कोशिकाएं दोषपूर्ण रक्त कोशिकाएं बनाती है। मगर इससे पहले कीमोथेरपी या विकिरण की मदद से उसकी अपनी रक्त स्टेम कोशिकाओं को नष्ट करना पड़ता है। कीमोथेरपी या विकिरण का उपयोग कई बार घातक साबित होता है।

शोधकर्ताओं का विचार है कि ऐसे मरीज़ों को प्रत्यारोपण से पूर्व कुछ सप्ताह तक वैलीन से वंचित किया जाए तो रक्त की स्टेम कोशिकाएं स्वत: ही समाप्त हो जाएंगी। शोध पत्र के प्रमुख लेखक टोकियो विश्वविद्यालय के हिरोमित्सु नाकाउची का कहना है कि ये परिणाम बहुत ही सरल प्रक्रिया की ओर इशारा करते हैं और न सिर्फ अस्थि मज्जा के प्रत्यारोपण बल्कि कैंसर के इलाज की संभावना भी उजागर करते हैं।
हमारे शरीर को 19 अलग-अलग अमीनो अम्लों की ज़रूरत होती है। इनमें से 9 ऐसे हैं जो हमें भोजन से ही प्राप्त होना चाहिए, जबकि अन्य अमीनो अम्ल शरीर खुद बना लेता है। इन्हें अनिवार्य अमीनो अम्ल कहते हैं।
शोधकर्ताओं को लगता है कि जिस तरह से रक्त स्टेम कोशिकाएं वैलीन पर निर्भर हैं, उसी तरह अन्य स्टेम कोशिकाएं भी अन्य अमीनो अम्लों पर निर्भर हो सकती हैं। यदि हम यह पता कर सकें कि कैंसर कोशिकाएं किन अमीनो अम्लों पर निर्भर हैं तो कैंसर का आसान इलाज मिल सकता है क्योंकि तब हम व्यक्ति को किसी विशिष्ट अमीनो अम्ल से वंचित करके कैंसर कोशिकाओं को मार सकेंगे। (स्रोत फीचर्स)