आइसलैंड के 14,688 लोगों के जीनोम के विश्लेषण के आधार पर डीकोड्स जेनेटिक्स कंपनी के कारी स्टीफेंसन का मत है कि बच्चे को ज़्यादा जेनेटिक म्यूटेशन्स अपनी मां की बजाय पिता से मिलते हैं। अभी यह पता नहीं है कि क्या ये म्यूटेशन्स हानिकारक होते हैं।
म्यूटेशन आनुवंशिक पदार्थ डीएनए में होने वाले परिवर्तनों को कहते हैं। ये परिवर्तन कोशिका विभाजन के समय बेतरतीबी से होते हैं। ये परिवर्तन ही विकास का कच्चा माल माने जाते हैं। जो म्यूटेशन किसी बच्चे में हो किंतु माता-पिता में न हो उसे नया म्यूटेशन माना जाता है।

स्टीफेंसन की टीम ने हर व्यक्ति के जीनोम की तुलना उसके माता-पिता, उसके बच्चों तथा भाई-बहनों से की। डीएनए में जो क्षार श्रृंखला किसी बच्चे में मिले किंतु उसके माता-पिता में न हो, वह अवश्य ही प्रजनन के दौरान निर्मित हुई होगी। टीम ने पाया कि ऐसे म्यूटेशन्स में से 80 प्रतिशत पिता से आते हैं जबकि मां मात्र 20 प्रतिशत का योगदान देती है।

यह कोई अचरज की बात नहीं है। उम्र के साथ पुरुषों की शुक्राणु कोशिकाओं में म्यूटेशन्स की संख्या बढ़ना साधारण बात है। कारण यह है कि पुरुषों में लगातार नए शुक्राणु बनते रहते हैं। दूसरी ओर, स्त्री में उसके जीवन भर के अंडे शुरू में ही बन जाते हैं और फिर इनमें सिर्फ वृद्धि होती है, विभाजन नहीं होता। म्यूटेशन विभाजन के दौरान ही पैदा होते हैं, इसलिए अंडों में उतने म्यूटेशन नहीं हो पाते।

अच्छी बात यह है कि ऐसे सारे म्यूटेशन्स हानिकारक नहीं होते और न ही लाभदायक होते हैं। हम सब कम से कम 70 नए म्यूटेशन्स के साथ जन्म लेते हैं। ऐसा बहुत कम बार होता है कि कोई म्यूटेशन हानिकारक हो, और उससे भी कम बार ऐसा होता है कि वह लाभदायक हो। मगर स्टीफेंसन की टीम देखना चाहती है कि इन म्यूटेशन्स का स्वास्थ्य से क्या सम्बंध है।
पूर्व में शोधकर्ताओं ने यह देखा है कि यदि व्यक्ति ज़्यादा उम्र में पिता बने तो उसके बच्चों में ऑटिज़्म और शिज़ोफ्रेनिया का जोखिम ज़्यादा होता है। अभी यह तो स्पष्ट नहीं है कि क्या इस बात का सम्बंध म्यूटेशन्स से है, मगर स्टीफेंसन इसे समझना चाहेंगे। (स्रोत फीचर्स)