हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि शहरी चूहे शहर में उपलब्ध भोजन का लुत्फ उठा रहे हैं और इसके लिए उनमें कुछ जेनेटिक परिवर्तन भी हो रहे हैं। खास तौर से ये चूहे अत्यधिक वसा वाले भोजन को पचाने के लिए तैयार हो रहे हैं और ऐसे भोजन के सेवन की कीमत भी चुका रहे हैं। हालांकि इस अध्ययन में जंतुओं का नमूना बहुत छोटा था मगर निष्कर्ष रोचक व गौरतलब हैं।
न्यूयॉर्क स्टेट विश्वविद्यालय के स्टीफन हैरिस और न्यूयॉर्क के ही फोर्डहैम विश्वविद्यालय के जेसन मुंशी-साउथ ने न्यूयॉर्क के बगीचों और पास के एक देहाती इलाके से 48 सफेद पंजे वाले चूहे (Peromyscus leucopus) पकड़े। वे देखना चाहते थे कि क्या शहरी व देहाती चूहों के बीच कुछ ऐसे अंतर हैं जिनसे पता चले कि शहरी चूहे शहरी जीवन के लिए अनुकूलित होने लगे हैं।

शोधकर्ताओं ने इन चूहों के आरएनए का विश्लेषण यह जानने के लिए किया कि क्या इनमें अलग-अलग जीन्स अभिव्यक्त होते हैं। गौरतलब है कि शरीर की प्रत्येक कोशिका में आनुवंशिक सूचनाएं डीएनए नामक अणु के रूप में उपस्थित रहती हैं और जब इस सूचना के किसी खंड का उपयोग करना होता है उस हिस्से की प्रतिलिपि एक अन्य अणु आरएनए के रूप में बनाई जाती है। यही आरएनए उस सूचना के आधार पर प्रोटीन का संश्लेषण करवाता है। अत: आरएनए के विश्लेषण से पता चल जाता है कि कौन-से जीन्स अभिव्यक्त हो रहे हैं।
हैरिस और मुंशी-साउथ ऐसे 19 स्थान पहचान पाए जहां आरएनए की रचना में एक क्षार का फेरबदल हुआ था। इनमें से कई सारे पाचन क्रिया से सम्बंधित थे। खास तौर से एक जीन जिसमें परिवर्तन हुआ था वह ओमेगा-3 व ओमेगा-6 वसा अम्लों का उत्पादन करवाता है। इसी जीन का एक रूप मनुष्यों में भी तब प्रकट हुआ था जब हमने शिकार-संग्रह अवस्था को छोड़कर खेती अपनाई थी।

इस अध्ययन में यह भी पता चला कि एक परिवर्तित जीन वह था जो वसायुक्त लीवर रोग से सम्बंधित है। इसका मतलब है कि यह जीन शहरी चूहों में तब सक्रिय हुआ है जब उन्हें अत्यधिक वसा युक्त भोजन का सेवन करना पड़ा। शायद शहरों में फास्ट फूड की भरपूर उपलब्धता इसकी वजह है। यह भी देखा गया कि शहरी चूहों के लीवर बढ़े हुए थे और उनमें क्षतिग्रस्त ऊतक भी ज़्यादा था।
शोधकर्ताओं का मत है कि उपरोक्त निष्कर्षों को निश्चित नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि मात्र 48 चूहों पर यह सर्वेक्षण किया गया है। बायोआर्काइव्स में प्रकाशित इस शोध पत्र का मुख्य आशय यह है कि इस तरह के अध्ययनों से हमें जैव विकास को ‘लाइव’ देखने का मौका मिलता है। (स्रोत फीचर्स)