बचपन में घड़ियों के कामकाज को समझने के लिए घर की 7 अलार्म घड़ियों के पुर्ज़े खोल-खालकर देखने वाली ग्रेस हॉपर का जन्म 1906 में हुआ था। ग्रेस हॉपर वे महिला हैं जिन्होंने हमें कंप्यूटरों की आधुनिक भाषा दी।

गणित में पीएच.डी. प्राप्त करने के बाद वे अमरीकी नौसेना के कंप्यूटेशन विभाग में कार्यरत रहीं। यहां उन्होंने सबसे पहले व्यावसायिक कंप्यूटर यूनिवेक के निर्माण में भूमिका अदा की। इसी दौरान उन्हें लगा था कि कंप्यूटरों के लिए प्रोग्राम लिखने के लिए अंग्रेज़ी भाषा का इस्तेमाल होना चाहिए और एक ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि कंप्यूटर इसे अपनी मशीनी भाषा में अनुवाद करके काम कर सके। इस व्यवस्था को उन्होंने कंपाइलर नाम दिया था। उस समय कहा गया था कि “कंप्यूटर अंग्रेज़ी नहीं समझते।” तीन साल तक इस विचार पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। मगर अंतत: 1952 में उन्होंने इस विषय पर अपना पहला पर्चा प्रकाशित किया। इसके बाद काम करते हुए उन्होंने एक कंपाइलर प्रोग्राम विकसित किया। इसी के आधार पर प्रथम व्यापारिक कंप्यूटर भाषा कोबॉल (कॉमन बिज़नेस ओरिएंटेड लेंग्वेज) का निर्माण हुआ। इसने वास्तव में कंप्यूटरों को ‘दोस्ताना’ बनाने में मदद की। इसी की बदौलत आज हम अपनी जानी-पहचानी भाषा में काम करते हैं और कंप्यूटर को निर्देश दे सकते हैं। इसी के चलते कंप्यूटर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक मशीन बन सका। हॉपर ने काफी समय यह समझाने में लगाया कि हमारे पास कंप्यूटरों के लिए ऐसी भाषा होनी चाहिए जो मशीन से स्वतंत्र हो। इसके लिए उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मानकों के विकास को प्रमुख लक्ष्य बनाया। नेटवर्क के विकास में यह एक महत्वपूर्ण कदम था।

1992 में निधन से पूर्व उन्हें तमाम पुरस्कारों, मानद उपाधियों से सम्मानित किया जा चुका था।