संकलन डॉ. कृष्ण कुमार मिश्र

खून की जांच बताएगी, शरीर के किस हिस्से में है कैंसर

वैज्ञानिकों को हाल ही में कैंसर के निदान की दिशा में बड़ी कामयाबी मिली है। वैज्ञानिकों ने खून की जांच से यह पता लगाने का तरीका खोज लिया है कि शरीर के किस हिस्से में कैंसर विकसित हो रहा है। आम तौर पर कैंसर का सटीक पता लगाने के लिए बायोप्सी की जाती है, जो दर्दभरी और जटिल प्रक्रिया है। इसके अलावा खून में मौजूद कैंसर कोशिकाओं के डीएनए से भी कैंसर की जांच होती है, लेकिन इससे यह पता नहीं चलता कि कैंसर शरीर के किस हिस्से में है।

अब वैज्ञानिकों ने इसका रास्ता खोज लिया है। अमेरिका के सैन डियागो स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कुन झांग ने बताया है कि कैंसर कोशिकाओं की चपेट में आकर कई सामान्य कोशिकाएं मर जाती हैं और इनका डीएनए अवशेष खून में मिल जाता है। इन अवशेषों की मदद से प्रभावित ऊतकों का पता लगाया जा सकता है तथा यह जाना जा सकता है कि कैंसर शरीर के किस हिस्से में है। वैज्ञानिकों ने खून में ऐसे बायोमार्कर की पहचान की है, जिनकी मदद से कैंसर का पता लगाया जा सकता है।

कैंसर की जांच को आसान बनाने की दिशा में यह एक बड़ी कामयाबी है। इससे कैंसर का इलाज करा चुके मरीज़ों में दोबारा कैंसर विकसित होने से पहले ही उसका पता लगाना संभव हो सकेगा। वैज्ञानिकों ने कुल 2400 फॉस्फोप्रोटीन की पहचान की है। इनमें से 144 फॉस्फोप्रोटीन ऐसे हैं, जो कैंसर से पीड़ित मरीज़ों के खून में पाए जाते हैं। प्रयोग के दौरान वैज्ञानिकों ने स्तन कैंसर की 30 मरीज़ों और छह स्वस्थ महिलाओं के खून में इन फॉस्फोप्रोटीन की जांच की। पांच साल पुराना होने के बाद भी खून के सैंपल में फॉस्फोप्रोटीन्स को आसानी से पहचाना जा सका। शोध से जुड़े अमेरिका के पर्ड्यू वि·ाविद्यालय के प्रोफेसर डब्ल्यू. एंडी ताओ ने इसे बड़ी कामयाबी बताया है। (स्रोत फीचर्स)

मानव शरीर के एक नए अंग की खोज

इस समय चिकित्सा जगत में जिस बात की चर्चा ज़ोर-शोर से हो रही है वह है मानव शरीर में खोजा गया एक नया अंग। यह सचमुच बड़ा ही रोचक तथा काबिले गौर है। आयरलैंड स्थित युनिवर्सिटी ऑफ लिमरिक के वैज्ञानिकों द्वारा मानव शरीर के 79वे अंग की खोज की गई। इस अंग को मेसेन्टरी यानी आंत्रसंयोजी कहते हैं। यह पेट को आंत से जोड़ता है। पहले यह माना जाता था कि मेसेन्टरी कई अलग-अलग हिस्सों से मिलकर बना है। लेकिन युनिवर्सिटी ऑफ लिमरिक में शल्य क्रिया के प्रोफेसर जे. केल्विन कॉफी के अनुसार यह एकल संरचना है। कॉफी ने अपने शोध में बताया है कि उनकी इस खोज से कई लाभ होंगे। विज्ञान के उन क्षेत्रों तक भी हम पहुंचेंगे जो हमें पहले पता नहीं थे। रोगों को नए सिरे से समझने में आसानी होगी।

यह शोध सुप्रसिद्ध मेडिकल जर्नल दी लैंसेट में प्रकाशित हुआ है। चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी किताब ‘ग्रे'ज़ एनाटॉमी’ ने मानव शरीर के अंगों की जानकारी अद्यतन करते हुए मेसेन्टरी को एक अंग के रूप में शामिल कर लिया है। लेकिन इस अंग पर गहन वैज्ञानिक शोध की ज़रूरत है ताकि पता चले कि दरअसल यह अंग कौन-कौन से काम करता है। प्रोफेसर कॉफी बताते हैं, “हमने इस अंग के रचना विज्ञान और आकार का पता लगा लिया है, अब हमें यह पता लगाना है कि यह अंग कौन-कौन से काम करता है।” वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह खोजा गया अंग कोलेस्टेरॉल, मोटापा, मधुमेह, इंफ्लेमेटरी तथा बावेल रोग जैसी आंत से जुड़ी बीमारियों को समझने तथा उनके इलाज में अहम भूमिका निभा सकता है। इसीलिए इस शोध से जुड़े वैज्ञानिक इसे चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी के रूप में देख रहे हैं। (स्रोत फीचर्स)

मलेरिया का नया टीका

मलेरिया के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए वैज्ञानिकों ने इससे निपटने के लिए एक नए टीके का निर्माण किया है। यह टीका शरीर में जाते ही व्यक्ति के प्रतिरक्षा तंत्र को मलेरिया परजीवी पर आक्रमण करने के लिए तैयार करता है। विश्व प्रसिद्ध शोध पत्रिका नेचर में प्रकाशित इस शोध पत्र में दावा किया गया है कि सैनेरिया पीएफएसपीज़ेड-सीवीएस टीका मलेरिया के खिलाफ अत्यंत उपयोगी है।
इस शोध के प्रमुख शोधकर्ता बेंजामिन मॉर्डम्यूलर ने कहा है कि पूरी तरह से सक्रिय विषाणु का टीका लगाते ही यह स्पष्ट हो गया कि हम एक मज़बूत प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में सक्षम हो गए हैं। हमने अब तक जो आंकड़े जमा किए हैं उनसे यह पता चलता है कि हमारे पास अब पहले की अपेक्षा अधिक स्थिर और टिकाऊ प्रतिरोधक टीका उपलब्ध है। (स्रोत फीचर्स)