पेड़ शायद खर्राटे न लेते हों मगर नींद के दौरान शायद उनके बदन चटकते हैं। पहली बार यह अवलोकन किया गया है कि रात के समय पेड़ों के शरीर में भौतिक परिवर्तन होते हैं जो नींद के समान माने जा सकते हैं। नींद की बात छोड़ दें, तो भी ये परिवर्तन पेड़ों में दिन-रात के चक्र को तो दर्शाते ही हैं। ऐसे परिवर्तन पहले छोटे-छोटे पौधों में ही देखे गए थे।
भूर्ज के पेड़ों पर किए गए अवलोकनों से पता चला है कि रात पूरी होते-होते इनकी शाखाएं पूरे 10 से.मी. तक झुक जाती हैं। हंगरी के इकॉलॉजिकल रिसर्च सेंटर के एंड्रास ज़्लिंस्की का कहना है कि यह प्रभाव पूरे पेड़ पर देखा गया और अद्भुत था। उनके अनुसार ऐसा प्रभाव पहले किसी ने नहीं देखा था जबकि परिवर्तन काफी बड़ा था।

ज़्लिंस्की और उनके साथियों ने ऑस्ट्रिया और फिनलैण्ड में भुर्ज पेड़ों का अध्ययन किया है। उन्होंने अपने अध्ययन के लिए सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच इन पेड़ों का लेसर पुंजों से स्कैनिंग किया था। लेसर पुंज को पेड़ पर एक ही जगह से डाला जा रहा था। इस पुंज को शाखाओं और तने से टकराकर वापिस आने में लगने वाले समय के आधार पर प्रत्येक पेड़ की गति को नापा जा सकता है। और यह मापन तीन आयामों में हो सकता है और इसकी विभेदन क्षमता 1 से.मी. है।
ऐसे अध्ययन पहले सिर्फ छोटे पौधों पर किए थे और संभवत: बड़े पेड़ों पर ऐसा अध्ययन पहली बार किया गया है। टीम ने भुर्ज के दो पेड़ों को स्कैनिंग के लिए चुना था। एक पेड़ ऑस्ट्रिया में था और दूसरा फिनलैण्ड में। प्रत्येक पेड़ का स्कैनिंग पूरी एक रात के लिए किया गया। फिनलैण्ड के पेड़ का स्कैनिंग हर एक घंटे बाद किया गया जबकि ऑस्ट्रिया के पेड़ को हर 10 मिनट में एक बार स्कैन किया गया। टीम ने लेसर पुंज का इस्तेमाल इसलिए किया था ताकि फोटोग्राफी के दौरान हर बार फ्लैश चमकाने से पेड़ का कुदरती चक्र न गड़बड़ा जाए।
स्कैनिंग के लिए ऐसी रातें चुनी गई थीं जब हवा न चल रही हो ताकि हवा के चलने के असर से बचा जा सके। दोनों पेड़ दिन व रात की अवधियों के लिहाज़ से एक-सी स्थितियों में थे।

ज़्लिंस्की का मत है कि शाखाओं के ढलने का कारण शायद यह है कि कोशिकाओं के अंदर पानी का दबाव कम हो जाता है जिसकी वजह से उनमें उतना तनाव नहीं रह पाता और वे अपने ही वज़न से झुक जाती हैं। यह भी हो सकता है कि पेड़ आराम फरमा रहा हो। दिन के समय शाखाएं ऊपर की ओर तनी रहें तो धूप मिलने में आसानी होती है। मगर उन्हें तानकर रखने में ऊर्जा खर्च होती है। तो जब रात में रोशनी के लिए जद्दोजहद न करना हो तो शाखाओं को तानकर रखने में कोई तुक नहीं है।
तो सवाल है कि क्या शाखाओं का झुकना सक्रिय प्रतिक्रिया है जो रात-दिन के चक्र को दर्शाती है या क्या यह पानी और धूप की उपलब्धता के नियंत्रण में है? इस सवाल का जवाब देने के लिए पहले तो ऐसे प्रयोग अन्य प्रजातियों पर भी करने होंगे। उसके बाद ही यह देखने का मौका आएगा कि इसकी क्रियाविधि क्या है। (स्रोत फीचर्स)