एस. अनंतनारायणन

हम सभी कांच से बने उत्पादों जैसे बोतलें, पानी पीने के गिलास आदि से अच्छी तरह परिचित हैं। लेकिन अब कांच संरचनाओं को मज़बूती देने में भी इस्तेमाल किया जाता है साथ ही कुचालक पदार्थ के रूप में और संदेश लाने-ले जाने के लिए भी।
यह कैसे बनता है
रेत को पिघलाकर और फिर ठंडा करके कांच बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में अणुओं का क्रिस्टल के रूप में जमावड़ा या नियमित पैटर्न नष्ट हो जाते हैं और वह बेतरतीब संरचना वाले एक तरल जैसा होता है। तरल या गैसीय अवस्था के समान कांच पारदर्शी होता है। कई पदार्र्थ (एडिटिव्स) मिलाकर कांच को कठोरता, ताकत और रंगों की छंटा प्रदान की जाती है। पिछली कुछ सदियों में यह प्रक्रिया परिष्कृत हुई है और कांच-निर्माण ने एक कला का रूप ले लिया है।

कांच जंग के प्रतिरोधी होते हैं और अधिकांश द्रवों में अघुलनशील होते हैं। इसी वजह से वाइन व शराब और यहां तक कि कई रसायनों को सहेजकर रखने में इनका इस्तेमाल किया जाता है। कांच का इस्तेमाल रासायनिक क्रियाएं करने में भी किया जाता है।
सृदृढ़ीकरण के लिए इस्तेमाल
कांच के पतले तंतुओं का लचीलापन और ताकत उतने ही वज़न के स्टील या कार्बन के तंतुओंें से कहीं ज़्यादा होते हैं। इस प्रकार कांच के महीन रेशे प्लास्टिक में समाहित होने पर प्लास्टिक को दृढ़ता देते हैं जिससे मज़बूत संरचनाएं बनाई जाती हैं।
चित्र में दिखाया गया है कि कैसे प्लास्टिक में कांच के महीन रेशे डालने से वह मज़बूत बनता है। जब प्लास्टिक की पट्टी को मोड़ा जाता है तो ऊपरी आधे हिस्से में कांच के रेशों को फैलना पड़ता है। दूसरी ओर, निचले हिस्से के रेशे सिकुड़ते हैं। कांच के रेशों के फैलने और सिकुड़ने के कारण पट्टी को मुड़ने से रोका जाता है। यह पट्टी को ताकत और दृढ़ता देता है।
अब इस तरह के कांच के रेशों का इस्तेमाल प्लास्टिक की सृदृढ़ीकृत छतों, समुद्री संरचनाओं जैसे नाव के ढांचे, हेल्मेट, एसिड टैंक आदि बनाने में नियमित रूप से किया जाता है।

कुचालक के रूप में
जब कांच को किसी छेद वाले बरतन में पिघलाया जाता है तो कांच इस बरतन के छेद के ज़रिए महीन धागे के रूप में निकलता है। इन तंतुओं को चटाई के रूप में बुना जा सकता है। इसे बिजली के चालक के आसपास लपेट दें तो यह अच्छी कुचालक परत के रूप में काम करती है। कांच के इन महीन तंतुओं का एक और गुण है कि जब इन्हें चटाई में ज़्यादा घना गूंथा जाता है तो ये चटाइयां ताप या आवाज़ की अच्छी अवरोधक होती हैं। यह इसलिए क्योंकि इन महीन तंतुओं के बीच की जगह ठीक उसी आकार की होती है जितनी हवा के गति करते अणुओं के बीच की खाली जगह होती है। हवा इन महीन जगहों में कैद होकर गर्मी पैदा करने के लिए हिलडुल नहीं पाती या कंपन्न करके ध्वनि को संप्रेषित नहीं कर पाती। कांच के तंतुओं का एक और बहुत उपयोगी इस्तेमाल बॉयलर और स्टीम पाइपों के अस्तर बनाने में होता है। ऐसा अस्तर बनाकर गर्मी की क्षति को रोका जा सकता है। इसी तरह के अस्तर लगाने से संगीत कक्षों में ध्वनि की गुणवत्ता में सुधार होगा।

संचार में
कांच का नवीनतम इस्तेमाल कांच के तंतुओं द्वारा कई किलोमीटर की दूरी तक संप्रेषण में किया जाता है।
जानकारी, डैटा लगभग किसी तरह की हानि या विकृति के बिना सैकड़ों किलोमीटर से ज़्यादा दूरी तक पहुंचते हैं। ध्वनि या जानकारी को डिजिटल प्रकाश संकेतों में बदल दिया जाता है और प्रकाश एक छोर से दूसरे छोर तक कांच तंतुओं में चलता रहता है। प्रकाश पुंज तंतुओं की अंदरुनी साइड से तब तक परावर्तित होता रहता है जब तक की वह अंत तक न पहुंच जाए जहां उसे प्रकाश संवेदी यंत्र ग्रहण कर लेता है। जिस साइड से प्रकाश परावर्तित हो रहा है उस जगह का कोण बदलकर कई संकेत एक ही समय पर गुज़ारे जा सकते हैं। (स्रोत फीचर्स)