परजीवी और उसके मेज़बान के सम्बंध काफी जटिल होते हैं। परजीवी यानी वह जीव जो किसी अन्य जीव से पोषण प्राप्त करता है और मेज़बान वह जीव होता है जो परजीवी को भोजन उपलब्ध कराता है। कई परजीवी रोग पैदा करते हैं। ऐसा देखा गया है कि परजीवी अपने मेज़बान के शरीर में या उसके व्यवहार में ऐसे परिवर्तन करता है ताकि स्थितियां परजीवी के अनुकूल हो जाएं।
मलेरिया रोग एक परजीवी प्लाज़्मोडियम की वजह से होता है। प्लाज़्मोडियम की कई प्रजातियां हैं। जैसे प्लाज़्मोडियम वाइवैक्स, प्लाज़्मोडियम फाल्सीपैरम वगैरह। यह परजीवी मनुष्य के शरीर में मच्छर के काटने से पहुंचता है। मनुष्य के शरीर में पहुंचकर यह अपने जीवन चक्र का एक हिस्सा पूरा करता है। किंतु जीवन चक्र के शेष हिस्से के लिए इसे वापिस मच्छर के शरीर में पहुंचना ज़रूरी होता है। अर्थात मलेरिया परजीवी के अस्तित्व के लिए ज़रूरी है कि मच्छर आपको काटे। दिलचस्प बात है कि प्लाज़्मोडियम आपके शरीर में ऐसे परिवर्तन करता है कि मच्छर आपकी ओर ज़्यादा आकर्षित हों।

इस तरह के परिवर्तन के प्रमाण के तौर पर स्टॉकहोम विश्वविद्यालय की इंग्रिड पाए और उनके साथियों ने देखा कि प्लाज़्मोडियम फाल्सीपैरम परजीवी एक पदार्थ एचएमबीपीपी पैदा करता है। यह पदार्थ लाल रक्त कोशिकाओं को कार्बन डाईऑक्साइड तथा कुछ अन्य गैसें बनाने को उकसाता है। ये गैसें मिलकर एनॉफिलीज़ गैम्बिए नामक मच्छर को आकर्षित करती हैं। यह मच्छर मलेरिया परजीवी का एक प्रमुख वाहक है।
शोधकर्ताओं ने यह भी देखा कि जिन मच्छरों ने एचएमबीपीपी युक्त खून पीया था उनकी लार ग्रंथियों में ज़्यादा मलेरिया परजीवी थे। इससे पता चलता है कि एचएमबीपीपी मच्छर में प्लाज़्मोडियम के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करता है। यह भी देखा गया है कि एचएमबीपीपी का अणु मच्छरों में तंत्रिका व प्रतिरक्षा सम्बंधी कुछ जीन्स की अभिव्यक्ति को बदलता है। इससे लगता है कि यह अणु मच्छरों के भोजन व प्रतिरक्षा सम्बंधी व्यवहार को बदल देता है जिससे मलेरिया के प्रसार में मदद मिलती है। (स्रोत फीचर्स)