एक परीक्षण में पता चला है कि एड्स वायरस संक्रमित 5 व्यक्तियों के शरीर में वायरस अनुपस्थित दिख रहा है जबकि उन्होंने इसके लिए निर्धारित दवा लेना बंद कर दिया है। और तो और, परीक्षण का एक सहभागी तो पिछले सात माह से बगैर दवा के वायरस-मुक्त बना हुआ है।
सामान्यत: एड्स वायरस (एचआईवी) से संक्रमित होने के बाद व्यक्ति को एंटी-रिट्रो वायरस चिकित्सा (ए.आर.टी.) नियमित रूप से आजीवन जारी रखनी पड़ती है। कुछ दिन दवा का सेवन करने के बाद वायरस नज़र नहीं आता मगर यदि दवा बंद कर दी जाए तो कुछ ही दिनों में उसकी संख्या बढ़ने लगती है। वैसे तो ए.आर.टी. काफी असरदार है मगर बहुत महंगी है और इसके कई साइड प्रभाव भी हैं। इस दृष्टि से देखा जाए, तो एड्स के लिए टीका बहुत लाभदायक हो सकता है और इस दिशा में प्रयास जारी हैं।

तीन वर्ष पहले स्पैन में बार्सीलोना स्थित इरसी-कैक्सा एड्स अनुसंधान केंद्र की बीट्रिज़ मोथे और उनके साथियों ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के टोमस हैंके द्वारा विकसित एक टीके के परीक्षण शु डिग्री किए थे। उन्होंने 24 ऐसे लोगों को यह टीका दिया था जिनमें हाल ही में एचआईवी संक्रमण का पता चला था। साथ में इन 24 लोगों को एआरटी देना भी जारी रखा गया था। इनकी नियमित जांच करके पता लगाया जाता था कि क्या टीके ने उनके शरीर में प्रतिरक्षा तंत्र को शक्तिशाली प्रतिक्रिया करने को उकसाया है।

इस वर्ष उनमें से 15 को टीके की बूस्टर खुराक दी गई और साथ ही कैंसर की एक दवा रोमिडेप्सिन दी गई। रोमिडेप्सिन के बारे में पता चला है कि यह शरीर में छिपे एड्स वायरसों को बाहर निकालती है। इसके बाद एक बूस्टर खुराक और देकर एआरटी बंद कर दी गई।
15 में से 10 वालंटियर्स में तो एआरटी बंद होने के बाद जल्दी ही वायरस ने फिर सिर उठाया और उन्हें फिर से एआरटी शु डिग्री करनी पड़ी। किंतु 5 सहभागियों में एआरटी की ज़रूरत नहीं पड़ी क्योंकि उनके प्रतिरक्षा तंत्र ने वायरस का दमन शु डिग्री कर दिया था। इनमें से एक व्यक्ति अब सात माह से एआरटी के बगैर है। अन्य चार में 6 से लेकर 21 सप्ताह तक वायरस पकड़ में नहीं आया है। इन व्यक्तियों को लगातार मॉनीटर किया जाएगा ताकि यह देखा जा सके कि ये कब तक एआरटी के बगैर वायरस-मुक्त रह पाते हैं।
आगे अनुसंधान का विषय यह भी है कि 15 में से मात्र 5 में ही क्यों ऐसी सफलता मिली। अर्थात दो-तिहाई व्यक्तियों में इस टीके ने अपेक्षित असर क्यों नहीं दिखाया। वैसे अभी दिल्ली बहुत दूर है क्योंकि पहले भी टीके सकारात्मक परिणाम दर्शाने के बाद दगा दे चुके हैं। (स्रोत फीचर्स)