दक्षिण अफ्रीका की एक गुफा राइज़िंग स्टार में से मानव सदृश जीवों के जीवाश्म मिलने का सिलसिला जारी है। 4 वर्ष पहले यहां से 1500 हड्डियां मिली थीं और अब 130 हड्डियां तथा एक दांत और मिला है। यह खोज दक्षिण अफ्रीका के विटवाटर्सरैंड विश्वविद्यालय के ली बर्जर और उनके साथियों ने की है।
बर्जर की टीम ने जल्दी ही यह समझ लिया कि ये सारी हड्डियां मनुष्य के एक प्राचीन सहोदर की हैं जिसे उन्होंने होमो नलेडी (Homo naledi) नाम दिया है। इसमें से उन्हें एक कंकाल लगभग पूरा का पूरा मिला है। इसकी कद-काठी छोटी है किंतु हाथ और पैर बिलकुल आधुनिक मनुष्य जैसे हैं जबकि कूल्हे और कंधे ऑस्ट्रेलोपेथिकस नामक वनमानुष से मिलते-जुलते हैं। ऑस्ट्रेलोपेथिकस विलुप्त प्राणि है जिसके अब जीवाश्म ही मिलते हैं।
दऱअसल टीम ने स्पष्ट किया है कि अभी जो हड्डियां मिली हैं वे तीन जीवों की हैं किंतु अधिकांशत: एक ही जीव की हैं। इसे इक्कीसवीं सदी की सबसे बड़ी जीवाश्म खोज कहा गया है।

हड्डियों के आकार के आधार पर अनुमान लगाया गया है कि इस प्राणि का कद लगभग 1.4 मीटर रहा होगा और वज़न करीब 40 किलोग्राम। वैज्ञानिकों ने यह भी अनुमान लगाने की कोशिश की है कि ये जीवाश्म लगभग किस काल के होंगे। यह अनुमान लगाना मुश्किल था क्योंकि ये जीवाश्म ठोस चट्टान में नहीं बल्कि ढीली-ढाली तलछट में प्राप्त हुए हैं। बहरहाल, तलछट और वहां पाए गए चूना पत्थर में आइसोटॉप्स का विश्लेषण करने पर पता चला है कि ये जीवाश्म 2,30,000 से लेकर 4,15,000 वर्ष पुराने हो सकते हैं। होमो नलेडी के दांतों का भी आइसोटॉप विश्लेषण किया गया तो पता चला कि इनका काल 2,36,000 से 3,35,000 वर्ष पूर्व का है। गौरतलब है कि कई तत्व आइसोटॉप के रूप में पाए जाते हैं, जिनका विघटन एक निश्चित गति से होता है। अत: किसी नमूने में एक ही तत्व के विभिन्न आइसोटॉप्स का अनुपात देखकर बताया जा सकता है कि वह कितना पुराना है।
यदि यह समय माना जाए, तो कहा जा सकता है कि होमो नलेडी दक्षिण अफ्रीका में स्वयं हमारी प्रजाति होमो सेपियन्स का समकालीन रहा होगा या कम से कम कुछ समय तो दोनों ने साथ-साथ बिताया होगा। यह बात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि होमो नलेडी वर्तमान मनुष्य से काफी भिन्न था। इससे लगता है कि होमो वंश में कई अन्य शाखाएं पैदा हुई थीं और ये साथ-साथ अस्तित्व में थीं। (स्रोत फीचर्स)