आजकल एरिज़ोना के रेगिस्तान में कछुओं की एक फौज को रेंगते-रेंगते ज़मीन पर बिछाई गई बारुदी सुरंगों का सुराग देने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। खास बात है कि ये कछुए रोबोट हैं।
वैसे तो अमरीकी फौज के पास सुरंग की खोज करके उन्हें नष्ट करने वाले रोबोट पहले से हैं लेकिन वे इतने बड़े-बड़े हैं कि उन्हें कहीं भी तैनात करना काफी मुश्किल होता है। इसके अलावा ये महंगे भी बहुत होते हैं। इसलिए ये नन्हे कछुए बनाकर उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है।
प्रत्येक रोबोट कछुआ लगभग सामान्य ड्रोन विमान के बराबर साइज़ का है और इसे बनाना काफी आसान है। इनमें कंप्यूटर चिप और मोटरें लगी हैं जिनकी मदद से इनकी टांगों को चलाया जाता है। ऐसा एक कछुआ बनाने में 2-3 घंटे का समय लगता है और लागत करीब 5000 रुपए आती है। ये कछुए काफी धीमी गति से आगे बढ़ते हैं - लगभग 5 से.मी. प्रति सेकंड। चलते-चलते यदि इनका संपर्क किसी बारुदी सुरंग से होता है तो ये तत्काल चेतावनी संकेत देते हैं।

किंतु ऐसे कछुआ रोबोट बनाना मुश्किल होता है, जो हर तरह के धरातल पर काम कर सकें क्योंकि हर जगह रेत अलग किस्म की होती है। इस प्रोजेक्ट के मुखिया एरिज़ोना विश्वविद्यालय के हेनरी बेन एमर बताते हैं कि कोशिश यह चल रही है कि इन रोबोट में ऐसा सॉफ्टवेयर फिट किया जाए जिसकी मदद से कछुआ धरातल की स्थिति को भांपकर अपनी चाल में उपयुक्त परिवर्तन कर सके। इसके अलावा यह रोबोट मौसम के कारण धरातल में होने वाले बदलावों को भी ध्यान में रख सकेंगे। प्रशिक्षण व परीक्षण इसी बात का हो रहा है। (स्रोत फीचर्स)