आतिशबाज़ी जितनी रंग-बिरंगी हो, उतनी खूबसूरत लगती है। किंतु इनमें ये तरह-तरह के रंग पैदा करने के लिए कई रसायनों का उपयोग होता है जो जलने के बाद कई अन्य रसायन हवा में छोड़ देते हैं। इनमें से कुछ कैंसरकारी भी हो सकते हैं।
आतिशबाज़ी में रंगों की छटाएं धातु आयनों की बदौलत होती है। सोडियम के लवण पीला, बेरियम के लवण हरा, कैल्शियम के लवण नारंगी, तांबे के लवण नीला और स्ट्रॉन्शियम के लवण लाल रंग पैदा करते हैं। पटाखों में इन लवणों के साथ कई अन्य पदार्थ भी मिलाए जाते हैं ताकि विस्फोट होने पर मनचाहे धातु के आयन पैदा हों और गर्म होकर रंगीन चमक पैदा करें।

उदाहरण के लिए, लाल रंग पैदा करने के लिए स्ट्रॉन्शियम के लवणों का उपयोग किया जाता है। पटाखों में इसके साथ पोलीविनाइल क्लोराइड मिलाया जाता है। इनकी क्रिया से स्ट्रॉन्शियम क्लोराइड बनता है जो आतिशबाज़ी में लाल रंग देता है। मगर जब यह मिश्रण जलता है तो कई सारे पोली क्लोरिनेटेड एरोमेटिक यौगिक बनते हैं जिनमें से कुछ कैंसरकारी होते हैं। ये यौगिक मिट्टी में भी पहुंच जाते हैं।
लिहाज़ा, वैज्ञानिकों की कोशिश थी कि स्ट्रॉन्शियम के लवण और पीवीसी के मिश्रण का कोई विकल्प खोजा जाए। उन्होंने पाया कि स्ट्रॉन्शियम क्लोराइड का उपयोग ज़रूरी नहीं है। स्ट्रॉन्शियम मोनोहायड्रॉक्साइड भी लाल रंग देता है। दिक्कत यह थी कि इसके साथ स्ट्रॉन्शियम मोनोऑक्साइड जल कर नारंगी रंग पैदा करता है। इससे स्ट्रॉन्शियम मोनोऑक्साइड का लाल रंग दब जाता है।

शोधकर्ताओं ने पीवीसी की बजाय मिश्रण में हेक्सामीन या अमीनो टेट्राज़ोल मिलाया। इन दोनों में क्लोरीन नहीं होती। इसलिए कैंसरकारी पोलीक्लोरिनेटेड एरोमैटिक यौगिक बनने का खतरा समाप्त हो गया। और तो और, इनकी क्रिया से स्ट्रॉन्शियम मोनोहायड्रॉक्साइड बना जो लाल रंग के साथ चमकता है। सबसे बड़ी बात यह हुई कि पूरी क्रिया में नारंगी रंग देने वाला स्ट्रॉन्शियम मोनोऑक्साइड बना ही नहीं। अर्थात यह लाल रंग पर्यावरण व स्वास्थ्य की दृष्टि से कहीं अधिक सुरक्षित है।

त्यौहारों, वैवाहिक कार्यक्रमों के अलावा इस तरह की आतिशबाज़ी का उपयोग सैन्य कार्यों के लिए भी किया जाता है, जहां बार-बार आतिशबाज़ी एक ही जगह होती है। इसकी वजह से वहां की मिट्टी में कैंसरकारी पदार्थों के जमा होने का खतरा बना रहता है।
अब वैज्ञानिकों की कोशिश है कि अन्य रंगों के लिए भी पर्यावरण की दृष्टि से ज़्यादा सुरक्षित विकल्पों की तलाश की जाए। (स्रोत फीचर्स)