नवनीत कुमार गुप्ता

भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाने वाले वैज्ञानिकों में से एक प्रोफेसर उडूपी रामचंद्र राव का 24 जुलाई को निधन हो गया। उन्होंने भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग समेत अनेक राष्ट्रीय संस्थाओं में अपना योगदान दिया। राव 1984-1994 तक इसरो के अध्यक्ष रहे। 10 मार्च 1932 को कर्नाटक के उडूपी ज़िले में जन्मे राव अभी तक इसरो के सभी अभियानों में किसी न किसी तरह शामिल रहे थे। भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास और प्राकृतिक संसाधनों की रिमोट सेंसिंग एवं संचार में इसके व्यापक उपयोग में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वर्तमान में प्रोफेसर राव भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला के अध्यक्ष थे। साथ ही वे तिरुवनंतपुरम स्थित भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के कुलाधिपति पद पर अपनी सेवाएं दे रहे थे।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से एम.एससी. करने के बाद उन्होंने अपना कैरियर विक्रम साराभाई के शोध विद्यार्थी के रूप में अहमदाबाद स्थित भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला से आरंभ किया। उच्च शिक्षा के लिए एम.आई.टी. और जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी भी गए थे।
1984 में अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने रॉकेट प्रौद्योगिकी के विकास में महत्वपूर्ण कार्य किया। उनके कार्यों के चलते एएसएलवी रॉकेट का सफल प्रक्षेपण हुआ और साथ ही दो टन तक के उपग्रहों को ध्रुवीय कक्षा में स्थापित कर सकने वाले पीएसएलवी का भी सफल प्रक्षेपण संभव हो सका। प्रोफेसर राव ने वर्ष 1991 में क्रायोजेनिक तकनीक और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के विकास की पहल भी की।

प्रोफेसर राव ने कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दीं। प्रोफेसर राव 1984 से 1994 तक इसरो प्रमुख रहे। आर्यभट से लेकर मंगल अभियान तक इसरो की कई परियोजनाओं पर प्रोफेसर राव ने काम किया। प्रोफेसर राव के साथी वैज्ञानिकों का कहना है कि वे हमेशा नई तकनीक से अपडेट रहते थे।
प्रोफेसर राव जैसे वैज्ञानिकों के परिश्रम का ही नतीजा है कि आज भारत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में विश्व के शीर्ष देशों में खड़ा है। प्रोफेसर राव ने भारत के प्रथम उपग्रह आर्यभट से लेकर तकरीबन 20 उपग्रहों के डिज़ाइन और प्रक्षेपण में योगदान दिया। उन्होंने नए वैज्ञानिकों को भी प्रेरित किया। 300 से अधिक शोध पत्रों के अलावा उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखीं, जैसे फिज़िक्स ऑफ द कम्यूनिकेशन, स्पेस एंड एजेंडा-21: केरिंग फॉर दी प्लेनेट अर्थ एंड स्पेस टेक्नोलॉजी फॉर सस्टेनेबल डेवलेपमेंट।

उनके कार्यों और उपलब्धियों को देखते हुए भारत सहित अनेक देशों के विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया है।
प्रो. राव को शांति स्वरूप भटनागर सम्मान, विक्रम साराभाई सम्मान, जवाहर लाल नेहरू सम्मान, इंसा एवं इसरो द्वारा लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड, पी. सी. महलनोबिस सम्मान, यूरी गागरिन सम्मान, मेघनाद साहा गोल्ड मेडल सहित अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित किया गया। राव पहले भारतीय वैज्ञानिक थे जिन्हें 19 मार्च 2013 में वाशिंगटन डीसी के प्रतिष्ठित ‘सैटेलाइट हॉल ऑफ फेम’ में शामिल किया गया और मेक्सिको में ‘आईएएफ हॉल ऑफ फेम’ में शामिल करके सम्मानित किया गया। भारत सरकार द्वारा इसी साल उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। (स्रोत फीचर्स)