जंतुओं की 500 प्रजातियों के डील-डौल और भागने की अधिकतम गति के विश्लेषण से पता चलता है कि सबसे तेज़ रफ्तार मझौले आकार के प्राणियों की होती है। यह बात काफी समय से ज्ञात है किंतु अब इसके कारणों पर नई रोशनी डाली गई है।

किसी भी प्राणि की हलचल के लिए उसकी मांसपेशियां ज़िम्मेदार होती हैं। मांसपेशियां दो तरह की होती हैं। एक वे जो तेज़ी से संकुचित हो सकती है जबकि दूसरे किस्म की मांसपेशियां धीमी गति से संकुचन करती हैं। बड़े प्राणियों में मांसपेशियों की संख्या भी ज़्यादा होती है और आकार भी बड़ा होता है। इसलिए यदि सिर्फ मांसपेशियों के आधार पर देखा जाए तो बड़े प्राणियों को ज़्यादा तेज़ रफ्तार से दौड़ना चाहिए। किंतु ऐसा होता नहीं है।

पहले इस संदर्भ में जो अध्ययन किए गए थे उनमें मुख्यत: स्तनधारियों को शामिल किया गया था। परिणामस्वरूप सारे प्राणि लगभग एक समान थे और डील-डौल में भी बहुत अंतर नहीं था। जर्मन सेंटर फॉर इंटीग्रेटिव बायोडायवर्सिटी रिसर्च की मिरियम हर्ट और साथियों ने अपने अध्ययन में 30 माइक्रोग्राम से लेकर 100 टन तक के प्राणियों को शामिल किया, उनके निष्कर्ष गौरतलब हैं।

नेचर इकॉलॉजी एंड इवॉल्यूशन में अपने शोध पत्र में हर्ट और साथियों ने बताया है कि जब उन्होंने 500 प्रजातियों के प्राणियों को अधिकतम रफ्तार के अनुसार एक ग्राफ पर दर्शाया तो उल्टे छ आकार का ग्राफ मिला जिसमें मध्यम आकार के प्राणि शिखर पर थे। इससे तो ऐसा लगता है कि मांसपेशियों की संख्या व आकार से अधिकतम गति तय नहीं होती। हर्ट के अध्ययन में दौड़ने, उड़ने और तैरने वाले प्राणि शामिल थे। तीनों तरह के प्राणियों में सबसे तेज़ मध्यम आकार के ही थे। शोधकर्ताओं का मत है कि अधिकतम गति मांसपेशियों के आकार व संख्या से नहीं बल्कि उनमें चल रही रासायनिक क्रियाओं से निर्धारित होती है।

तेज़ी से संकुचित होने वाली मांसपेशियां ज़्यादा संख्या में हों तो सिद्धांतत: बहुत अधिक रफ्तार दे सकती हैं। किंतु इनके संकुचन में बहुत अधिक ऊर्जा खर्च होती है। होता यह है कि ये जंतु को अधिकतम गति दे पाएं उससे पहले ही इनकी ऑक्सीजन सप्लाई खत्म हो जाती है। ऐसी स्थिति में ये थकने लगती हैं। यानी सिद्धांतत: अपनी अधिकतम गति सीमा पर पहुंचने से पहले ही ये दम तोड़ देती हैं। यदि इन्हें पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहे तो ये प्राणि काफी ऊंची रफ्तार हासिल कर सकते हैं किंतु शरीर के अंगों में ऑक्सीजन पहुंचाने की अपनी सीमाएं हैं। तो सिर्फ बड़ी-बड़ी मांसपेशियां नहीं, बल्कि कुल मिलाकर एक संतुलित डील-डौेल व अन्य व्यवस्थाएं गति सीमा तय करती हैं। (स्रोत फीचर्स)