कनाडा में शोधकर्ताओं की एक टीम ने खुलासा किया है कि उन्होंने चेचक से सम्बंधित एक विलुप्त वायरस को प्रयोगशाला में बना लिया है। यह वायरस घोड़ों में चेचक फैलाने वाला हॉर्सपॉक्स वायरस है।

संश्लेषण जीव विज्ञान जिस रफ्तार से तरक्की कर रहा है, उसे देखते हुए वैज्ञानिकों को अंदेशा था कि देर सबेर यह तो होना ही था। इससे पहले वैज्ञानिकों की एक टीम ने पोलियोवायरस का निर्माण किया था। किंतु वह वायरस अत्यंत सरल रचना का था। हॉर्सपॉक्स वायरस कहीं अधिक जटिल है और इस बार पूरा काम मात्र 1 लाख डॉलर की लागत से कर लिया गया है। यह काम कनाडा के अल्बर्टा विश्वविद्यालय के सूक्ष्मजीव वैज्ञानिक डेविड ईवान्स के नेतृत्व में हुआ है। ईवान्स और उनके साथी कोशिश कर रहे हैं कि कैंसर के खिलाफ टीका विकसित करें और उनके मुताबिक वायरस का निर्माण उस दिशा में एक ज़रूरी कदम है।

बहरहाल, इस तरह एक विलुप्त वायरस को शुरू से शुरू करके प्रयोगशाला में बना लेना कई सवाल पैदा करता है। जैसे इस तकनीक का उपयोग करके कोई असामाजिक तत्व कोई रोगजनक वायरस बनाकर उसे पर्यावरण में छोड़ सकता है जो एक भयानक खतरा बन जाएगा। दूसरे शब्दों में यह आतंक का एक हथियार बन सकता है।

वैसे इस क्षेत्र में कार्यरत शोधकर्ताओं के लिए यह कोई बड़ी खबर नहीं है। अलबत्ता, इससे इतना तो पता चलता ही है कि आधुनिक टेक्नॉलॉजी क्या कुछ हासिल कर सकती है और कितने सस्ते में। वैसे स्वयं ईवान्स विश्व स्वास्थ्य संगठन की उस सलाहकार समिति के सदस्य हैं जो चेचक सम्बंधी अनुसंधान के आवेदनों की समीक्षा करती है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन को चेताया भी था कि इस तरह का विज्ञान विकसित हो चुका है और टेक्नॉलॉजी विकसित होने में समय नहीं लगेगा। उन्हें लगता है कि इस टेक्नॉलॉजी की हकीकत को स्वीकार करके हमें आगे बढ़ना होगा। (स्रोत फीचर्स)