पैक्स रोमन काल (27 ईसा पूर्व से 180 ईसवीं तक का समय) रोम के सुनहरे युग के रूप में देखा जाता है। इस दौरान रोम में अपेक्षाकृत शांति और समृद्धि थी। इसी दौर में रोमन साम्राज्य की शुरुआत हुई, कोलोसियम का निर्माण हुआ, और साम्राज्य पूरे भूमध्य सागर और अधिकांश ब्रिटिश द्वीपों तक फैला।
लेकिन प्रोसिडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस में प्रकाशित शोध बताता है कि रोमवासियों ने इस समृद्धि की कीमत भी चुकाई है: चांदी खनन और गलाने के काम के चलते उस दौरान रोमवासी सीसा प्रदूषण का भी शिकार हुए थे। और इसके चलते उनके शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ संज्ञान क्षमता में भी गिरावट आई होगी।
दरअसल रोमन साम्राज्य में चांदी के सिक्के बनाने के लिए गैलेना नामक सीसा-समृद्ध खनिज से चांदी का निष्कर्षण किया जाता था। खनन व निष्कर्षण के दौरान सीसा ज़हरीली वाष्प के रूप में निकलता है। एक ग्राम चांदी बनाने पर लगभग 10 किलोग्राम सीसा निकलता था।
अनुसंधानों की बदौलत आज हम यह जानते हैं कि सीसा (लेड) से संदूषित चीज़ों, जैसे पाइप, पेंट, खिलौने वगैरह के संपर्क में आने से हृदय और संज्ञान सम्बंधी समस्याएं हो सकती हैं और सीसे का संदूषण शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए ज़्यादा जोखिमभरा है। फिर, यह भी देखा गया है कि प्राचीन रोम में सीसे का खूब उपयोग होता था - चीनी मिट्टी के बर्तन, सौंदर्य प्रसाधन, चमकदार पेंट, पानी के पाइपों से लेकर वाइन के मिठासवर्धक के रूप में। हालिया अध्ययन का एक तर्क यह भी है कि इतने व्यापक इस्तेमाल के चलते सीसे की विषाक्तता ने रोमन साम्राज्य के पतन को गति दी होगी।
कुछ प्रमाण यह भी मिलते हैं कि रोमन लोग सीसा के खतरों को भांप चुके थे। प्लिनी दी एल्डर ने रोमन सौंदर्य प्रसाधनों में इस्तेमाल किए जाने वाले सफेद सीसा पाउडर को ज़हर कहा था। और प्राचीन रोमन लोगों के दांतों के एनेमल और कंकाल सीसा विषाक्तता का शिकार होने की गवाही तो देते ही हैं।
और, जिस तरह मिट्टी, चट्टानें अपनी परतों में अतीत की बातें छिपाए होती हैं, वैसे ही आर्कटिक में जमा बर्फ भी इतिहास की चुगली कर सकती है। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में आर्कटिक कोर बर्फ में पैक्स रोमन काल में सीसा प्रदूषण और उसके स्वास्थ्य पर प्रभाव को बयां करते संकेत खोजे।
इसके लिए डेज़र्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता जोसेफ मैककॉनेल ने भलीभांति अध्ययन किए जा चुके ऐसे तीन हिम कोर का डैटा लिया जो रूस के निकटवर्ती आर्कटिक और ग्रीनलैंड से निकाले गए थे। इसी के साथ उन्होंने मौसमी हवाओं और नमी पैटर्न समेत कई जलवायु कारकों का ऐतिहासिक डैटा भी जुटाया। और इन सभी आंकड़ों को एक मॉडल में डाला। मॉडल के अनुसार पैक्स रोमन काल में रोम ने अपने खनन कार्यों वगैरह के चलते हर साल 3 से 4 किलोटन सीसा वायुमंडलीय में छोड़ा और कुल मिलाकर रोम ने करीब 500 किलोटन से अधिक सीसा वायुमंडल में छोड़ा।
फिर शोधकर्ताओं ने देखा कि इस स्तर के उत्सर्जन और संपर्क का मनुष्य पर किस तरह का संज्ञानात्मक प्रभाव पड़ सकता है। देखा गया कि वहां के रहवासियों के रक्त में सीसे का स्तर पैक्स रोमन काल में पहले या बाद की तुलना में बहुत अधिक था और संभवत: इस अतिरिक्त सीसा के चलते पूरे साम्राज्य की संज्ञानात्मक क्षमता में औसतन 2.5 से 3 अंकों की कमी आई होगी। और इसका खामियाजा चांदी खदानों के आसपास के बाशिंदों को अधिक भुगतना पड़ा होगा, जैसे आधुनिक फ्रांस, स्पेन, यू.के. और पूर्वी एड्रियाटिक।
कुछ संकेत इस बात के भी मिलते हैं जब 165 ईसवीं में एंटोनिन प्लेग फैला और इसके चलते लगभग 10 प्रतिशत रोमन आबादी ने अपनी जान गंवाई तो चांदी खनन का काम करने वाले लोगों की संख्या में कमी आई, इसलिए रोमन सिक्कों में भी चांदी का उपयोग कम हुआ और नतीजतन खदानों से होने वाला सीसा प्रदूषण भी कम हुआ।
हालांकि इस पर थोड़े भिन्न मत भी हैं। अन्य वैज्ञानिकों का कहना है कि संज्ञानात्मक क्षति के लिए पूरी तरह सीसे को ज़िम्मेदार ठहराने के पहले कई सामाजिक कारकों (जैसे युद्ध की परिस्थितियां, भोजन की कमी) का भी आकलन किया जाना चाहिए। बहरहाल, महामारी विज्ञानियों और इतिहासकारों के आगे के अध्ययन इस सम्बंध पर और अधिक प्रकाश डाल सकेंगे। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - April 2025
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