जब आप कोई दस्तावेज़, पत्र या लेख संपादित करते हैं तो आप उसके अर्थ को अधिक स्पष्ट बनाने के लिए शब्दों और वाक्यों में कुछ बदलाव करते हैं। जीन संपादन में, विशिष्ट एंज़ाइम की मदद से डीएनए को एक निश्चित स्थान से काट कर डीएनए का अनुक्रम बदला जाता है, इससे किसी जीन में कोई आनुवंशिक जानकारी हटाने, जोड़ने या बदलने में मदद मिलती है। यह प्रक्रिया किसी वाक्य में गलत हिज्जे (spelling) ठीक करने या किसी शब्द को अधिक उपयुक्त शब्द से बदलने के समान है। जीवों में, ऐसे संशोधन सीधे डीएनए में अंकित आनुवंशिक निर्देशों को बदल देते हैं।
पूर्व में, जब हमें किसी वांछित कार्य के लिए डीएनए में अंकित संदेश को बदलना होता था तो हमें दो एंज़ाइमों की ज़रूरत पड़ती थी – एक डीएनए को एक विशिष्ट (या वांछित) स्थान से काटकर हटाने के लिए, और दूसरा वांछित आनुवंशिक परिवर्तन जोड़ने के लिए। हालांकि यह द्वि-एंज़ाइम आधारित तरीका कारगर था, लेकिन इसमें मेहनत बहुत लगती थी।
एक खोज
फिर, अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की डॉ. जेनिफर डाउडना और जर्मनी के हम्बोल्ट विश्वविद्यालय की इमैनुएल शॉपान्टिए ने ये दोनों काम (काटना और जोड़ना) करने वाली जीन संपादन विधि, CRISRP-Cas9, विकसित की। यह एक ऐसी विधि है जो मनुष्यों, रोगाणुओं और पौधों के जीनोम को संपादित कर सकती है। CRISPR का फुल फॉर्म है क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पर्स्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स और Cas9 से तात्पर्य है क्रिस्पर-एसोसिएटेड प्रोटीन-9 जो विशिष्ट स्थान पर डीएनए को काटता है जिससे वहां एक रिक्त स्थान बन जाता है, जिसे नए डीएनए खंड से भरा जा सकता है। डाउडना और शॉपान्टिए द्वारा 2012 में की गई इस खोज के लिए उन्हें 2020 में साझा रूप से नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
वैसे, साउथ कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रो. फेंग झेंग ने भी एक पेपर में CRISPR-Cas9 प्रणाली की मदद से जीनोम इंजीनियरिंग के बारे में बताया था लेकिन नोबेल समिति ने उन्हें नोबेल के तीसरे साझेदार वैज्ञानिक के रूप में शामिल नहीं किया। इसके बाद उन्होंने साउथ कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय छोड़ दिया, इस कार्य का पेटेंट हासिल किया और बोस्टन चले गए। इसका पेटेंट अब ब्रॉड इंस्टीट्यूट (एमआईटी और हारवर्ड विश्वविद्यालय का संयुक्त उपक्रम) के स्वामित्व में है। यह संस्थान विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए CRISPR-Cas9 विधि का उपयोग करता है; जैसे कैंसर के लिए माउस मॉडल का विकास, कैंसर की दवाओं को निष्प्रभावी बनाने वाले जीन्स की पहचान, प्रतिरक्षा कोशिकाओं में संशोधन। यही ब्रॉड इंस्टीट्यूट अन्य वैज्ञानिकों को इस तकनीक का प्रशिक्षण भी प्रदान करता है।
पौधों में जीन संपादन
CRISPR-Cas9 पेटेंट तकनीक का उपयोग कृषि वैज्ञानिक और वनस्पति शोधकर्ता भी पौधों में जीनोम इंजीनियरिंग के लिए करते हैं। जर्मनी के कार्लस्रुहे बॉटेनिकल इंस्टीट्यूट के डॉ. होल्गर पुख्ता के समूह ने कई ऐसे शोधपत्र प्रकाशित किए हैं, जो मुख्यत: बताते हैं कि पौधों के जीनोम को लक्षित करने के लिए Cas9, Cas12 और Cas13 का उपयोग कैसे किया जाए। हाल ही में, CRISPR-Cas9 की मदद से दो जीन्स को ‘निष्क्रिय’ कर, वज़न में कमी लाए बगैर टमाटर में मिठास बढ़ाई गई है। अवश्य ही अन्य पौधों और फलों पर भी इसी प्रकार के अध्ययन हो रहे होंगे।
बहरहाल, डॉ. अनुराग चौरसिया ने हाल ही में एक रिपोर्ट (‘How CRISPR patent issues block Indian farmers from accessing biotech benefits - क्रिस्पर पेटेंट की समस्या कैसे भारतीय किसानों को बायोटेक लाभ लेने से रोक रही है)’ में बताया है कि IPO ने डबलिन के ईआरएस जीनोमिक्स को एक लोकल पेटेंट दिया है। लोकल पेटेंट भारतीय शोधकर्ताओं को CRISPR-Cas9 का उपयोग करने की अनुमति तो देता है लेकिन केवल अकादमिक या शोध सम्बंधी उद्देश्यों के लिए, इसके द्वारा हासिल किसी भी वैज्ञानिक उपलब्धि का व्यावसायीकरण नहीं किया जा सकता। तो, हमारे किसान अभी भी ‘पुराने ज़माने' के हिसाब से ही चल रहे हैं।
दृष्टिबाधितों में
नेत्र विकारों से पीड़ित लोगों के लिए हैदराबाद स्थित एलवी प्रसाद नेत्र संस्थान के वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के एक समूह के साथ मिलकर जीन संपादन की एक विधि की मदद से रोगी-विशिष्ट स्टेम कोशिकाओं में वंशानुगत उत्परिवर्तन को ठीक किया है। उनके ये परिणाम नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल के जून, 2024 के अंक में प्रकाशित हुए हैं। अध्ययन में उत्परिवर्तन-संशोधित इन स्टेम कोशिकाओं से रेटिना कोशिकाएं बनाने में सफलता मिली है, जिनमें लुप्त प्रोटीन की पुनः अभिव्यक्ति देखी गई है। इन परिणामों से कुछ वंशानुगत नेत्र विकारों के लिए स्व-कोशिका चिकित्सा विकसित करने की संभावना खुल गई है। शरीर के अन्य तरह के ऊतकों और कोशिकाओं को प्रभावित करने वाली अन्य बीमारियों के समाधान के लिए भी इसी तरह के तरीके अपनाए जा सकते हैं। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - April 2025
- जन स्वास्थ्य अभियान के 25 वर्ष: उपलब्धियां और सीमाएं
- 20 सूत्रीय जन स्वास्थ्य चार्टर
- सबके लिए स्वास्थ्य हासिल करने ‘मिशन पॉसिबल’
- अनौपचारिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की भूमिका
- नींद में मस्तिष्क खुद की सफाई करता है
- खरपतवारनाशी से शिशु स्वास्थ्य को खतरा
- बढ़ते तापमान का अदृश्य स्वास्थ्य संकट
- जीन संपादन कैंची का उपयोग
- महिलाओं, चींटी जैसे काम करो, पुरुषों जैसे व्यवहार करो लेकिन महिला बनी रहो!
- तंबाकू के विरुद्ध आवाज उठाने वाले वैज्ञानिकों पर संकट
- कृत्रिम बुद्धि की मदद से प्राचीन शिल्पों का जीर्णोद्धार
- कार्बन-कार्बन एकल इलेक्ट्रॉन बंध देखा गया
- दांतों ने उजागर किया स्तनपान का पैटर्न
- नई यादें बनने पर पुरानी यादें मिट क्यों नहीं जातीं?
- घटते बादलों से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा
- प्राचीन रोम के लोगों ने सीसा प्रदूषण झेला है
- 1.5 डिग्री की तापमान वृद्धि की सीमा लांघी गई
- रैटलस्नेक एक-दूसरे के शल्क से पानी पीते हैं
- यह सांप निगल जाता है मुंह से कई गुना बड़ा शिकार
- समुद्री मकड़ियां खुद को रेत में क्यों दबाती हैं?
- वृक्ष मेंढकों की दिलचस्प छलांग
- कोरल भी चलते हैं, लेकिन घोंघों से भी धीमे
- जगमगाते कुकुरमुत्ते