अधिकतर कोरल को देखकर ऐसा लग सकता है कि वे बस एक जगह जमे रहते हैं, अपनी जगह छोड़कर ज़रा भी यहां-वहां टहलते नहीं। बस अपना भोजन पाने के लिए थोड़ा लहरा-लहरा कर पास से गुज़रते जंतु-प्लवकों को पकड़ लेते हैं। लेकिन इनकी कुछ प्रजातियां थोड़ा घुमक्कड़ भी होती हैं। ऐसी ही कुछ घुमक्कड़ प्रजातियां मशरूम कोरल (Fungiidae) कुल की सदस्य हैं। इस कुल के सदस्य देखने में ऐसे लगते हैं जैसे कोमल सुइयों का कोई चमकीला तकिया हों।
अवलोकनों से इतना तो पता चल चुका है कि मशरूम कोरल कुल के कुछ सदस्य स्थिर और माकूल तापमान और प्रचुर भोजन के लिए भीड़-भाड़ वाले उथले समंदर से शांत, गहरे समंदर की ओर कूच करते हैं। लेकन यह सवाल अब तक सवाल ही था कि ये कोरल गति कैसे करते हैं? क्या ये शांत गहरे पानी तक पहुंचने के लिए अन्य जीवों (के शरीर) से ‘लिफ्ट’ लेते हैं? या वे अपने ऊतकों का इस्तेमाल नाव की पाल की तरह करते हैं; जिस तरह हवाएं पाल के ज़रिए नाव को गति देती है वैसे ही पानी पालनुमा ऊतक के सहारे इन्हें बहा ले जाता है।
प्लॉस वन में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ है, जिसमें कोरल के बारे में उपरोक्त अनुत्तरित सवाल का जवाब खोजने की कोशिश की गई है। डिस्क कोरल (Cycloseris cyclolites) पर अध्ययन कर शोधकर्ताओं ने पाया कि गुंबद सरीखे शरीर वाले डिस्क कोरल प्रकाश स्रोत की दिशा में ‘जाने’ के लिए अपने शरीर को लुढ़काते हैं, फिसलाते हैं, और क्रमाकुंचन (यानी क्रमश: फैलना-सिकुड़ना) की मदद से आगे बढ़ाते हैं। कोरल बेहतर पकड़ के लिए अपने बाहरी ऊतकों के कुछ हिस्सों को फुलाते हैं, फिर अपने ऊतकों को थोड़ा मरोड़ते हैं, फिर और संकुचित होकर अपने शरीर को आगे की और खींचते हैं। यानी कोरल काफी हद तक जेलीफिश की चाल चलते हैं।
यह भी देखा गया कि कोरल विशेष रूप से नीली रोशनी के प्रति संवेदनशील होते हैं - कुछ मामलों में कोरल प्रकाश स्रोत की ओर 22 से.मी. तक बढ़े थे। चूंकि नीला प्रकाश अन्य रंगों की तुलना में पानी में अधिक गहराई तक जाता है, इसलिए इस रंग की रोशनी मशरूम कोरल को अपनी पसंदीदा छायादार और माकूल गहराई तक पहुंचने में मदद कर सकती है। एक और बात पता चली कि जैसे-जैसे कोरल बड़े होते जाते हैं उनके लिए घूमना मुश्किल होता जाता है। इसलिए वे ऐसी गति से आगे बढ़ते हैं कि चलना भारी न पड़े। वैसे, लगता तो ऐसा है कि उन्हें अपने गंतव्य पर पहुंचने की कोई जल्दी नहीं होती। कोरल हर 24 घंटे में औसतन 4.5 से.मी. नीली रोशनी की ओर बढ़ते हैं - सुस्ती के लिए मशहूर घोंघे से भी बहुत, बहुत धीमी गति से। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - April 2025
- जन स्वास्थ्य अभियान के 25 वर्ष: उपलब्धियां और सीमाएं
- 20 सूत्रीय जन स्वास्थ्य चार्टर
- सबके लिए स्वास्थ्य हासिल करने ‘मिशन पॉसिबल’
- अनौपचारिक स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की भूमिका
- नींद में मस्तिष्क खुद की सफाई करता है
- खरपतवारनाशी से शिशु स्वास्थ्य को खतरा
- बढ़ते तापमान का अदृश्य स्वास्थ्य संकट
- जीन संपादन कैंची का उपयोग
- महिलाओं, चींटी जैसे काम करो, पुरुषों जैसे व्यवहार करो लेकिन महिला बनी रहो!
- तंबाकू के विरुद्ध आवाज उठाने वाले वैज्ञानिकों पर संकट
- कृत्रिम बुद्धि की मदद से प्राचीन शिल्पों का जीर्णोद्धार
- कार्बन-कार्बन एकल इलेक्ट्रॉन बंध देखा गया
- दांतों ने उजागर किया स्तनपान का पैटर्न
- नई यादें बनने पर पुरानी यादें मिट क्यों नहीं जातीं?
- घटते बादलों से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा
- प्राचीन रोम के लोगों ने सीसा प्रदूषण झेला है
- 1.5 डिग्री की तापमान वृद्धि की सीमा लांघी गई
- रैटलस्नेक एक-दूसरे के शल्क से पानी पीते हैं
- यह सांप निगल जाता है मुंह से कई गुना बड़ा शिकार
- समुद्री मकड़ियां खुद को रेत में क्यों दबाती हैं?
- वृक्ष मेंढकों की दिलचस्प छलांग
- कोरल भी चलते हैं, लेकिन घोंघों से भी धीमे
- जगमगाते कुकुरमुत्ते