मधुमक्खियां परागण और शहद उत्पादन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जानी जाती हैं। लेकिन इटली स्थित जानूट्री (Giannutri) नामक एक छोटे द्वीप में हुए हालिया अध्ययन से पता चला है कि मधुमक्खियों की मौजूदगी जंगली परागणकर्ताओं के लिए नुकसानदायक हो सकती है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि जब मधुमक्खियों को थोड़े समय के लिए उनके छत्तों में ही रोक कर रखा गया तो जंगली परागणकर्ताओं की संख्या में तो वृद्धि हुई ही, साथ ही उन्होंने अधिक मकरंद और पराग भी एकत्र किया। करंट बायोलॉजी में प्रकाशित यह अध्ययन संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र में कॉलोनी बनाने वाली मधुमक्खियों की जंगली परागणकर्ताओं के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा को लेकर चिंता व्यक्त करता है।
इस प्रयोग को युनिवर्सिटी ऑफ पीसा और युनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरेंस के वैज्ञानिकों ने अंजाम दिया। जानूट्री द्वीप टस्कन तट के पास स्थित है और विरल आबादी वाला है। वर्ष 2018 में वैज्ञानिकों और पार्क अधिकारियों ने स्थानीय परागणकर्ताओं पर पालतू मधुमक्खियों के प्रभाव को समझने के लिए यहां मधुमक्खी के 18 कृत्रिम छत्ते लगाए थे।
2021 से 2024 के बीच फरवरी से अप्रैल तक, वैज्ञानिकों ने जंगली मधुमक्खियों की दो प्रजातियों - बफ टेल्ड बम्बलबी (Bombus terrestris) और एक सॉलिटरी बी (Anthophora dispar) पर नज़र रखी। उपलब्ध मकरंद एवं पराग की मात्रा के आधार पर उन्होंने यह पता लगाने का प्रयास किया कि कितनी जंगली और कितनी पालतू मधुमक्खियां फूलों पर जा रही हैं।
शोधकर्ताओं ने हर साल मधुमक्खी के 18 छत्तों को कुछ दिनों के लिए बंद किया। इससे उन्हें यह देखने का मौका मिला कि जब मधुमक्खियां अनुपस्थित थीं तब पर्यावरण में क्या बदलाव हुए। पाया गया कि मधुमक्खियों की अनुपस्थिति में जंगली परागणकर्ता काफी फले-फूले। मधुमक्खियों को छत्तों में रोकने पर कुछ महत्वपूर्ण बदलाव दिखे: फूलों में 60 प्रतिशत अधिक मकरंद पाया गया; पराग की मात्रा में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई; जंगली परागणकर्ता अधिक संख्या में दिखाई दिए और उन्होंने फूलों पर अधिक समय बिताया; प्रतिस्पर्धा न होने के कारण जंगली परागणकर्ताओं को मकरंद और पराग आसानी से मिला।
दरअसल, मधुमक्खियां भोजन के स्रोतों का पता लगाकर कॉलोनी की अन्य मधुमक्खियों को उसकी जानकारी देती हैं, जिससे वे जल्दी पहुंचकर मकरंद और पराग खत्म कर देती हैं। दूसरी ओर, जंगली परागणकर्ता अकेले भोजन खोजते हैं, इसलिए वे संगठित मधुमक्खी की तेज़ प्रतिस्पर्धा के सामने कमज़ोर पड़ जाते हैं।
चार साल की इस अवधि में, पालतू मधुमक्खियों की उपस्थिति के कारण जंगली परागणकर्ताओं की संख्या में भारी गिरावट देखी गई। बम्बल बी और सॉलिटरी बी की आबादियों में 80 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई और पालतू मधुमक्खियां द्वीप के फूलों पर हावी रहीं। इसके अलावा वैज्ञानिकों ने सॉलिटरी बी की गुंजन की आवाज़ में भी हर साल पहले से कमी पाई। मधुमक्खियों के अलावा अन्य कारक, जैसे कीट आबादी में कुदरती घट-बढ़ और फूलों की उपलब्धता में बदलाव भी इसकी वजह हो सकते हैं।  
वैज्ञानिक चेताते हैं कि यह निष्कर्ष शायद अन्य स्थानों पर लागू न हो। जानूट्री छोटा द्वीप है, यहां युरोप के मुकाबले मधुमक्खियों के छत्तों का घनत्व औसत से दुगना है, तो हो सकता है प्रतिस्पर्धा यहां अधिक हो। संभव है कि अन्य पारिस्थितिक तंत्रों में जंगली और पालतू मधुमक्खियां एक-दूसरे को प्रभावित किए बिना सह-अस्तित्व में रह सकती हैं।
शोधकर्ताओं ने मधुमक्खियों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की वकालत नहीं की है, बल्कि हर तरह के परागणकर्ताओं के आपसी संतुलन को समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता को पर बल दिया है। (स्रोत फीचर्स)