मानव विकास के इतिहास में पाषाण काल एक विशेष महत्व रखता है। एक मायने में इसे पहली औद्योगिक क्रांति कहा जा सकता है - लगभग तीस लाख साल पहले का एक ऐसा दौर जब मनुष्यों ने पत्थरों से औज़ार बनाना और उनका इस्तेमाल करना शुरू किया था। पाषाण काल में पत्थरों के औज़ार के साथ-साथ इन्हीं मनुष्यों द्वारा जब-तब हड्डी के औज़ार इस्तेमाल किए जाने के भी प्रमाण मिलते हैं। लेकिन ये प्रमाण बहुत छिट-पुट रूप में मिलते हैं। जैसे शोधकर्ताओं को करीब 14 लाख साल पुरानी हड्डी से बनी कुल्हाड़ी मिली थी, फिर 5 लाख साल पुराने कुछ और औज़ार मिले थे। लेकिन बहुत कम प्रमाणों के चलते सटीक रूप से यह निर्धारित नहीं किया जा सका है कि मनुष्यों ने हड्डी के औज़ार बनाना कब शुरू किया।
इतने कम प्रमाण का एक कारण है कि पत्थरों के माफिक हड्डियां सालों-साल सुरक्षित नहीं रहतीं। हड्डियां समय के साथ सड़-गल जाती हैं, और जैसी-तैसी हालत में जो हड्डियां मिलती भी हैं उनमें यह अंतर कर पाना एक बड़ी चुनौती होती है कि वे किसी जीव की हड्डियां मात्र हैं या मनुष्यों ने उन्हें तराश कर औज़ार का रूप दिया था।
बावजूद इसके, किसी बात को पुख्ता तौर पर कहने के लिए वैज्ञानिकों की पैनी नज़रें सदैव ही अधिकाधिक प्रमाणों की तलाश में रहती हैं। इसी उद्देश्य से 2015 में, पुरातत्वविदों के एक दल ने तंज़ानिया के ओल्डुवाई गॉर्ज पुरातात्विक स्थल पर खुदाई कार्य शुरू किया था। दरअसल इस स्थल पर पूर्व में भली-भांति संरक्षित जीवाश्म और पत्थर के औज़ार मिले थे, जो 20 लाख साल की लंबी अवधि के मानव विकास के इतिहास को बयां कर रहे थे। इस स्थल की 8 मीटर गहरी खुदाई करीब 8 साल में पूरी हुई थी।
पहले तो शोधकर्ताओं ने इन परतों का काल-निर्धारण किया; ये परतें करीब 15 लाख साल पुरानी थीं। फिर खुदाई में मिली हाथी के पांव की एक हड्डी और बाकी हड्डियों (से बने औज़ारों) का बारीकी से अवलोकन किया। कुल मिलाकर इस खुदाई स्थल से उन्हें हड्डियों के 27 औज़ार मिले। अवलोकन में दिखा कि इन हड्डियों पर तराशने के निशान हैं; आकार देने के लिए उनसे छीलकर हटाई गई छिल्पियों के निशान साफ गवाही दे रहे थे कि ये महज़ हड्डियां नहीं बल्कि औज़ार हैं। पाया गया कि अधिकतर औज़ार हाथी और दरियाई घोड़े जैसे विशालकाय जानवरों की हड्डियों से बनाए गए थे।
इन औज़ारों की बनावट वगैरह देखकर लगता है कि इनका इस्तेमाल मांस काटने और हड्डियों के अंदर से मज्जा निकालने के लिए हड्डियों को तोड़ने में किया जाता होगा। इस आधार पर शोधकर्ताओं को लगता है कि उस समय के मनुष्य जानवरों को केवल भोजन के स्रोत के रूप में ही नहीं बल्कि अन्य संसाधन के तौर पर भी देखते थे। 
बहरहाल, नेचर में प्रकाशित ये नतीजे बताते हैं कि हमारे एक पूर्वज, होमो इरेक्टस, करीब 15 लाख साल पहले पत्थर के औज़ार बनाने के साथ-साथ हड्डियों के औज़ारों का भी इस्तेमाल करते थे। हालांकि इस खुदाई स्थल से मानव शरीर के कोई अवशेष नहीं मिले हैं। फिर भी ये नतीजे मनुष्यों के प्रारंभिक विकास को समझने में महत्वपूर्ण हैं। इससे पता चलता है कि उनमें चीज़ों के गुणों के मुताबिक उनका इस्तेमाल करने को लेकर समझ थी। पत्थरों और हड्डियों की विशेषता अलग-अलग हैं, उनकी विशेषता के मुताबिक औज़ार बनाना और इस्तेमाल करना इसी कौशल को दर्शाता है। पत्थरों के मुकाबले उसी साइज़ की हड्डी वज़न में हल्की होती हैं। यानी हड्डियों से कहीं अधिक बड़े और हल्के औज़ार बन सकते हैं, जो भाले वगैरह के लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं। (स्रोत फीचर्स)