यदि आम को फलों का राजा कहा जाता है, तो कटहल को सभी फलों में डॉक्टर कहा जा सकता है। भारत और मध्य-पूर्व के लोग कटहल (Artocarpus heterophyllus) से बहुत पहले से परिचित हैं। कटहल का उपयोग आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति में स्वास्थ्यवर्धक के रूप में किया जाता रहा है। तमिल में ‘पला’, बंगाली में ‘कंटहल’ और मलयालम में ‘चक्का’ कहलाने वाला कटहल भारत के दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों में अधिकतर भोजन का हिस्सा है, जबकि अन्य क्षेत्रों में यह फल की तरह अधिक खाया जाता है। मलेशिया जैसे दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में यह प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, और यहां से इसे मध्य पूर्व क्षेत्रों में निर्यात किया जाता है।
कटहल का पेड़ विशाल (और घना) होता है। इसके फल पेड़ की पतली शाखाओं पर नहीं लगते बल्कि तने और मोटी शाखाओं के जोड़ के आसपास लगते हैं। यहां लगने से इसे बहुत बड़े आकार में बढ़ने में मदद मिलती है; केरल में 42 किलोग्राम का एक कटहल अब तक एक रिकॉर्ड है। कटहल का पका हुआ फल मीठा और स्वादिष्ट होता है। और कच्चे कटहल से कई तरह के व्यंजन बनते हैं। इसे मांस के विकल्प के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि इसमें वसा और कोलेस्ट्रॉल कम होता है और इसका स्वाद मांस जितना अच्छा होता है! कटहल के सालन की तरह कटहल बिरयानी भी एक स्वादिष्ट शाकाहारी विकल्प है।
इस पेड़ के कई अन्य उपयोग भी हैं। दक्षिण-पूर्व एशियाई भिक्षु कटहल की छाल से रंगे हुए वस्त्र पहनते हैं; यह वस्त्रों को उजला, धूपिया पीला रंग देते हैं - कुछ-कुछ शहद के रंग के जैसा। कटहल का यह रंग इसकी लकड़ी से बने फर्नीचर को एक अच्छी रंगत भी देता है। इसकी लकड़ी मज़बूत और दीमक प्रतिरोधी होती है।
सुपरफूड कटहल
इन सभी खूबियों के साथ-साथ, कटहल एक सुपरफूड के रूप में विश्वभर में लोकप्रिय हो रहा है। क्लीवलैंड युनिवर्सिटी की एक व्यापक समीक्षा बताती है कि कटहल प्रोटीन, विटामिन, खनिज और पादप रसायनों, के अलावा पोटेशियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे तत्वों से भरपूर है। ड्यूक युनिवर्सिटी की वेबसाइट पर वैज्ञानिक ब्रायना इलियट ने कटहल के पोषण सम्बंधी लाभों पर प्रकाश डाला है। वे बताती हैं कि पोषण की दृष्टि से कटहल की फांकें सेब और आम की तुलना में बेहतर हैं। कई संदर्भों का हवाला देते हुए वे बताती हैं कि कटहल का फल रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है; यकृत से लेकर अन्य अंगों में जमा वसा को घटाता है; और इसमें मौजूद कैरोटीनॉइड्स टाइप-2 डायबिटीज़ और हृदय रोगों के जोखिम को कम करते हैं। इसमें मौजूद विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ वायरल संक्रमण के जोखिम को कम करते हैं।
WebMed वेबसाइट भी इसके कई लाभ बताती है। इसके अनुसार, “कटहल ज़रूरी विटामिनों और खनिज से सराबोर है, विशेष रूप से यह विटामिन ‘बी’, पोटेशियम और विटामिन ‘सी’ का एक अच्छा स्रोत है।” कटहल मधुमेह के रोगियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। भारत में लगभग 21.5 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। 2021 में, आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के ए. गोपाल राव और उनके साथियों ने न्यूट्रिशन एंड डायबिटीज़ जर्नल में एक रैंडम क्लीनिकल परीक्षण के नतीजे प्रकाशित किए हैं। इसमें बताया गया है कि कच्चे कटहल का आटा (जिसे कच्चे कटहल के गूदेदार हिस्से को सुखाकर, पीसकर बनाया जाता है) ग्लाइसेमिक नियंत्रण में कुशल है और चावल या गेहूं जैसे मुख्य आहार का विकल्प बन सकता है। कटहल का आटे के रूप में इस्तेमाल उत्तरी राज्यों में विशेष रूप से उपयोगी हो सकता है जहां कटहल की खेती नहीं होती। इस शोधपत्र के एक लेखक जेम्स जोसेफ एक कंपनी (jackfruit 365) चलाते हैं जो पूरे भारत में कटहल का आटा बेचती है।
कटहल मधुमेह रोगियों और स्वस्थ लोगों, दोनों के लिए दैनिक आहार का एक वांछनीय हिस्सा है। तो सब्ज़ी, अचार, फल या आटे किसी भी रूप में इसे इस्तेमाल करें और स्वस्थ रहें! (स्रोत फीचर्स)
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Srote - June 2025
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