हाल ही में यूएसए में एक नए उपकरण को स्वीकृति मिली है जो मधुमेह रोगियों के लिए काफी उपयोगी साबित होगा। यह उपकरण है ‘कृत्रिम अग्न्याशय’ यानी पैंक्रियाज़ जो प्रथम किस्म के मधुमेह रोगियों के शरीर में लगा दिया जाएगा और रक्त शर्करा का मापन करके ज़रूरत के अनुसार उनके खून में इंसुलिन की खुराक देता रहेगा।
यहां गौरतलब बात यह है कि इंसुलिन वह हारमोन है जो पैंक्रियाज़ नामक ग्रंथि में बनता है और खून के माध्यम से पूरे शरीर में पहुंचता है। कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज़ का अवशोषण इंसुलिन की उपस्थिति पर निर्भर करता है। यदि इंसुलिन न हो या ठीक से काम न करे तो कोशिकाओं को ग्लूकोज़ नहीं मिल पाता और यह ग्लूकोज़ खून में ही बना रहता है। जब किसी व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन नहीं बनता तो इसे प्रथम किस्म का मधुमेह कहते हैं। दूसरे किस्म का मधुमेह वह होता है जिसमें इंसुलिन बनता तो है मगर ठीक से काम नहीं करता। उपरोक्त उपकरण प्रथम किस्म के मधुमेह में उपयोगी होगा।
दरअसल प्रथम किस्म के मधुमेह मरीज़ों को बार-बार खून में ग्लूकोज़ की मात्रा पता करनी होती है और उसके हिसाब से इंसुलिन का इंजेक्शन लेना होता है। मेडट्रॉनिक द्वारा विकसित यह उपकरण ये दोनों काम स्वचालित ढंग से करेगा। यह उपकरण हर पांच मिनट में खून में ग्लूकोज़ की मात्रा नापेगा और ज़रूरत के अनुसार कम या ज़्यादा इंसुलिन खून में छोड़ देगा।
इस उपकरण के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले जुवेनाइल डायबिटीज़ रिसर्च फाउंडेशन के डेरेक रैप के मुताबिक यह उपकरण सुकून का प्रतीक है। व्यक्ति को दिन-रात चिंता नहीं करनी पड़ेगी। आम तौर पर प्रथम किस्म का मधुमेह बच्चों में होता है और ज़ाहिर है उनके माता-पिता को लगातार ध्यान रखना पड़ता है कि उनके बच्चे के खून में ग्लूकोज़ की क्या स्थिति है। इसके लिए कई बार सुई से टोंचकर खून निकालना और जांच करना काफी कष्टदायक हो सकता है। (स्रोत फीचर्स)