हार्वड टी.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार सिज़ेरियन प्रसव से जन्मे बच्चों में मोटापे का खतरा सामान्य प्रसव से जन्मे बच्चों की अपेक्षा 15 प्रतिशत ज़्यादा रहता है, और यह खतरा व्यस्क अवस्था में और अधिक बढ़ सकता है। इस अध्ययन में यह बात समाने आई कि सिज़ेरियन से जन्मे बच्चे में मोटापे की संभावना सामान्य प्रसूति से जन्मे अपने ही भाई-बहनों से 64 प्रतिशत अधिक होती है।
वैसे हार्वड चान स्कूल के पोषण और महामारी विज्ञान के प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख जॉर्ज चावारो का कहना है कि निसंदेह सिज़ेरियन प्रसूति कई कठिन परिस्थितियों में जीवनदायक प्रक्रिया होती है। लेकिन वे कहते हैं कि मां और नवजात पर सिज़ेरियन से पड़ने वाले कुछ ज्ञात जोखिम हैं। हमारे अध्ययन दिखाते हैं कि सिज़ेरियन से जन्मे बच्चों में व्यस्क अवस्था में मोटापे का खतरा बना रहता है।

सिज़ेरियन की बढ़ती संख्या से लगता है कि यह खतरा महामारी का रूप ले सकता है। आजकल एक तिहाई प्रसूतियां सिर्फ सिज़ेरियन ही होती हैं। पहले किए गए अध्ययनों से भी यह बात सामने आई थी कि सिज़ेरियन प्रसूति और मोटापे का कुछ सम्बंध है लेकिन ताज़ा अध्ययन इसका पुख्ता प्रमाण है।
नए विश्लेषण में 16 सालों में जन्मे 22,000 बच्चों के व्यस्क होने तक के डैटा को शामिल किया गया। इसमें सन 1996-2012 तक प्रतिभागियों को एक प्रश्नावली का हर वर्ष या दो वर्ष में एक बार जवाब देना था। शोधकर्ता पूरे समय प्रतिभागियों के बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) पर नज़र रखे हुए थे। दूसरे कारक भी मोटापे में एक भूमिका निभा सकते थे जैसे गर्भ-धारण से पूर्व मां का बीएमआई, धूम्रपान की स्थिति, प्रसव की उम्र, और वे कहां रहते हैं। उन्होंने यह भी ध्यान रखा कि मां के पहले भी कोई सिज़ेरियन प्रसव हुए हैं या नहीं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि सामान्य प्रसव और सिज़ेरियन प्रसव से जन्मे बच्चों में मोटापे को लेकर बहुत भिन्नता दिखाई दी। यहां तक कि भाई-बहन, जिनमें आनुवंशिक लक्षण एक समान होते हैं, में भी यह भिन्नता दिखाई दी। (स्रोत फीचर्स)