वर्ष 1970 से 2013 के बीच युनाइटेड किंगडम में आधी से ज़्यादा जैव प्रजातियों की आबादी में कमी देखी गई है। इसके अलावा उनके फैलाव में भी उल्लेखनीय कमी आई है। हालत यह है कि कम से कम 15 प्रतिशत प्रजातियों की संख्या में इतनी कमी देखी गई है कि उनकी विलुप्ति का खतरा पैदा हो गया है। उपरोक्त तथ्य हाल ही में प्रकाशित स्टेट ऑफ नेचर (द्वितीय) रिपोर्ट में व्यक्त किए गए हैं।
इस अध्ययन में 53 वन्यजीव संगठन शामिल थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन 4000 जलचर व थलचर प्रजातियों का अध्ययन किया गया उनमें से 56 प्रतिशत की संख्या अथवा फैलाव के क्षेत्र में कमी आई है। कुछ प्रमाण इस बात के भी मिले हैं कि कम से कम 1200 प्रजातियों के ग्रेट ब्रिटेन से नदारद होने का खतरा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रजातियों में गिरावट का मुख्य कारण सघन खेती का प्रकृति पर होने वाला नकारात्मक असर है। रिपोर्ट के मुताबिक खेती में व्यापक बदलाव के चलते कई प्रजातियों के प्राकृतवास तबाह हुए हैं और पर्यावरण में रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशक रसायनों की मात्रा बढ़ी है। सरकारी कृषि नीतियों के चलते जहां गेहूं व दूध का उत्पादन इस अवधि में दुगना हो गया, वहीं प्रजातियों के रहवास और भोजन के स्रोतों का विनाश हुआ।
बदलती कृषि के अलावा जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण अन्य प्रमुख कारणों के रूप में उभरे हैं। रिपोर्ट में कृषि सबसिडी पर पुनर्विचार करने की वकालत की गई है क्योंकि इससे जैव विविधता पर असर पड़ रहा है। दूसरी ओर, राष्ट्रीय किसान संगठन के अध्यक्ष ने कहा है कि कृषि में जो भी बदलाव होने थे वे 1990 के दशक तक हो चुके थे। इसलिए कृषि को निशाना बनाना ठीक नहीं है। जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण की भूमिका पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है। (स्रोत फीचर्स)