टीकाकरण के प्रति लोगों का भरोसा दुनिया के अलग-अलग देशों में अलग-अलग स्तर का है। कहीं पर यह माना जाता है कि टीकाकरण हमें रोगों से बचाता है तो कहीं पर इसे घोर संदेह की नज़र से देखा जाता है। 67 देशों में किए गए एक सर्वेक्षण में यह उजागर हुआ है कि टीकाकरण पर विश्वास करने के मामले में दक्षिण पूर्व एशिया के देश सबसे ऊपर हैं जबकि युरोप के देशों में इस पर घोर अविश्वास का माहौल है।
इस अध्ययन में 67 देशों के लगभग 66,000 लोगों के मत शामिल किए गए थे। उनसे यह पूछा गया था कि क्या वे टीकों को ज़रूरी, सुरक्षित, कारगर और अपने धार्मिक विश्वासों के अनुरूप मानते हैं।
ई-बायोमेडिसिन नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित इस सर्वे का सबसे रोचक निष्कर्ष यह है कि फ्रांस के लोग टीकों को संदेह की नज़र से देखते हैं - 41 प्रतिशत लोग इस बात से असहमत थे कि टीके सुरक्षित होते हैं। विश्व भर में यह आंकड़ा 12 प्रतिशत रहा। यह निष्कर्ष रोचक इसलिए है क्योंकि फ्रांस वह देश है जहां के मशहूर वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने उन्नीसवीं सदी में टीकाकरण का विचार विकसित किया था। टीकों पर सबसे कम विश्वास करने वाले देशों में बोस्निया, हर्ज़गोविना, यूनान, आर्मेनिया और स्लोवेनिया शामिल हैं।
सर्वे के मुताबिक दक्षिण पूर्व एशिया में टीकाकरण को सबसे विश्वसनीय माना जाता है। मसलन बांग्लादेश के मात्र 1 प्रतिशत लोगों ने कहा कि टीके सुरक्षित नहीं होते।
गौरतलब है कि टीकाकरण में लोगों का विश्वास एक अहम मुद्दा है। अविश्वास के चलते कई लोग टीकाकरण से इन्कार कर देते हैं। पिछले कुछ वर्षों में टीकाकरण से इन्कार के चलते कई देशों में बीमारियों के अनावश्यक प्रकोप देखे गए हैं। लिहाज़ा लोगों के रवैये के इस तरह के नियमित आकलन की ज़रूरत से इन्कार नहीं किया जा सकता। (स्रोत फीचर्स)