तितलियां उड़ते हुए फूल हैं, और फूल बंधी हुई तितलियां हैं” - पोंस डेनिस एकौचर्ड लेब्रुन

प्रकृति के रहस्यों में फूल और तितलियों का सामंजस्य किसी से नहीं छिपा है। लेकिन मनुष्य सहित उनके अनेक प्राकृतिक दुश्मन हैं; जैसे कीट, पक्षी, छिपकलियां आदि। 2006 में ब्रिटिश काउंसिल द्वारा निर्मित, सोन्या वी. कपूर द्वारा निर्देशित प्रसिद्ध डाक्यूमेंटरी फिल्म ‘वन्स देयर वाज़ ए पर्पल बटरफ्लाई’ में इनके अवैध व्यापार को दर्शाया गया है। तितलियों की कई प्रजातियों को भारत से चीन, ताइवान और कई अन्य देशों में तस्करी, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में सजावट और अन्य सजावटी मूल्य के लिए जीवित या मृत ले जाया जाता है।

तितलियां फूलों से भले ही रसपान करती हैं, पर उनकी मौजूदगी कभी भी फूलों की सुंदरता को नष्ट नहीं करतीं। यह मनुष्य के लिए एक बड़ा सबक होना चाहिए।

तितलियां जब एक फूल से दूसरे फूल पर विचरण करती हैं, तो वे अपने नन्ही-नन्ही टांगों तथा अपनी छोटी-सी सूंड पर फूलों के कुछ परागकण समेटकर दूसरे फूल पर ले जाती हैं। इससे पेड़-पौधों में प्रजनन शुरू होता है। परागकणों को एक से दूसरे फूल तक पहुंचाकर तितलियां कई वनस्पतियों, खास कर गाजर, सूरजमुखी, फलियों और पुदीना आदि के पौधों में फूलों से फल बनने की प्रक्रिया में सहायता करती हैं; अर्थात हमारी भोजन की थाली में बहुत सारी हरी-भरी सब्ज़ियों को पहुंचाने में मदद करती हैं, जिन्हें हम अनदेखा करते हैं। अर्थशास्त्रियों ने इन सभी परागणकर्ताओं की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का मूल्यांकन लगभग 235-577 अरब अमेरिकी डॉलर आंका है। धीरे-धीरे अब इन पौधों और परागण करने वाले जीवों का आपसी सम्बंध टूटने से जैव-विविधता और खेती पर बुरा असर पड़ने लगा है। समय आ गया है कि तितलियों की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए उनकी सराहना और समर्थन किया जाए।

बायोसाइंस में प्रकाशित एक शोध पत्र में बताया गया है कि मोनार्क तितलियां कृषि उत्पादन के लिए बहुत आवश्यक हैं। गर्मी में प्रजनन के दौरान मैदान में मादा मोनार्क अत्यधिक सक्रिय देखी गई हैं। जब उनकी इल्ली (कैटरपिलर) मिल्कवीड की पत्तियों का दूधिया रस पी लेती हैं तो ये कैटरपिलर ही नहीं, उनसे निकलने वाली वयस्क तितलियां भी पक्षियों और अन्य शिकारियों के लिए अप्रिय भोजन बन जाती हैं। कृषि परिदृश्य में उपचारित खेतों के पास मिल्कवीड के पौधे कहीं भी लगाए जा सकते हैं।

तितलियों की समृद्ध पारिस्थितिकी के लिए पर्यावरणीय कारकों, जैसे नमी, तापमान और उनकी इल्लियों के लिए पोषक पौधों की उपलब्धता ज़रूरी है। चूंकि तितलियां विशिष्ट पौधों पर ही अंडे देती हैं, इनके लिए घरों की छतों पर या बागवानी वाली जगह पर सुगंधित, मीठे, रंग-बिरंगे फूलों वाले पौधे लगाए जा सकते हैं। एक टिकाऊ तितली उद्यान बनाने के लिए दो प्रकार के पौधे लगाए जा सकते हैं: (1) पोषक पौधे - पीले सूरजमुखी, ब्लैक-आइड सुसान, गोल्डनरॉड्स, गुलाबी जो-पाई वीड, फायरवीड, रेड बी बाम/बर्गमोट, मेक्सिकन सूरजमुखी, बैंगनी कोनफ्लॉवर, वर्बेना, जंगली एस्टर्स, आयरनवीड, लंबा बुडालिया जैसे पौधे तितलियों को पसंद आने वाले रंगों से भरपूर पौधे होते हैं, जिन पर तितलियां अंडे देती हैं, तथा वे उनकी इल्लियों (कैटरपिलर) के लिए भोजन का काम करते हैं, तथा (2) मकरंद पौधे - ये वयस्क तितलियों के लिए भोजन का काम करते हैं। तितलियां खुली धूप वाली जगह पसंद करती हैं, हवादार जगह पर उन्हें हवा से बचाने के लिए जितना सम्भव हो सके प्रयास करना चाहिए। हालांकि तितलियों को पानी पीने के लिए कीचड़-भरी जगह पसंद होती है, लेकिन एक उथला कटोरा और उसके चारों तरफ पानी में भीगा स्पंज रखने से उनके नाज़ुक शरीर के उतरने में मदद होती है। झुंड को बुलाने के लिए बगीचे में गीली रेत का कटोरा रखा या मिट्टी का पोखर भी बनाया जा सकता है।

इनकी आबादी और विविधता को संरक्षित करने के लिए भारत के कई राज्यों में तितली पार्कों की स्थापना की गई है। पर कुछ ही स्थानों पर इनका संरक्षण करना जैव विविधता को बढ़ावा नहीं देगा, इसके लिए सभी के प्रयास की ज़रूरत होगी।

कई लोग तितलियों को सजावट और सजावटी सामानों के रूप में बड़े पैमाने पर दीवारों पर, कागज़ों पर सजाते हैं, और इनका अन्य तरह से इस्तेमाल भी किया जाता है। कई देशों में रात में शादी समारोह में बड़ी संख्या में तितलियां छोड़ी जाती हैं। शोरगुल वाले माहौल में वे उड़ नहीं पाती हैं, और मर जाती हैं। हमें अपना व्यवहार बदलने की ज़़रूरत है।

यहां यह बता देना लाज़मी है कि परागण की विशेषज्ञ होने के साथ-साथ तितलियां जैव-संकेतक हैं, और पारिस्थितिकी तंत्र में होने वाले मामूली और छोटे-छोटे बदलावों को भांपकर संकेत दे सकती हैं। (स्रोत फीचर्स)