भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने एक शोध पत्र में दावा किया है कि गुजरात के कच्छ क्षेत्र में उन्हें एक ऐसा स्थान मिला है जो मंगल की भौगोलिक परिस्थिति की अनुकृति है। यह स्थान कच्छ ज़िले के मातानोमढ़ गांव में स्थित है जो आशापुरा माता के मंदिर के कारण तीर्थ स्थल के रूप में मशहूर है।
दरअसल, पृथ्वी के बाहर जीवन के अस्तित्व की सर्वाधिक संभावना मंगल पर व्यक्त की गई है और इसी के मद्देनज़र वैज्ञानिकों ने सबसे ज़्यादा रोबोटिक अभियान मंगल पर ही भेजे हैं। साथ ही यह भी कोशिश की जाती रही है कि इन रोबोटिक अभियानों के लिए पृथ्वी पर ऐसे स्थान खोजे जाएं जिनकी भौगोलिक और रासायनिक बनावट मंगल जैसी हो। ऐसे कुछ स्थान खोजे भी जा चुके हैं। इनमें अंटार्कटिका, लासेन ज्वालामुखी राष्ट्रीय उद्यान, लिकनकाबुर ज्वालामुखी, और डेवन द्वीप के कुछ क्षेत्र शामिल हैं। यहां इस बात की खोजबीन की जाती है कि मंगल पर प्रयोग किस तरह किए जाएंगे। यदि अहमदाबाद के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, खड़गपुर आई.आई.टी. और हैदराबाद के नेशनल जियोफिज़िकल लेबोरेटरी के वैज्ञानिकों के दल का दावा सही है तो मातानोमढ़ ऐसा एक और क्षेत्र होगा।

हाल ही में जर्नल ऑफ जियोफिज़िकल रिसर्च - प्लेनेट में एस. भट्टाचार्य और उनके साथियों के शोध पत्र में बताया गया है कि डेकन वॉल्केनिक प्रॉविंस से प्राप्त बैसाल्ट चट्टानों के नमूनों और मातानोमढ़ के शेल्स और सैंडस्टोन के अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि यह क्षेत्र मंगल की अनुकृति है। शोधकर्ताओं ने इन नमूनों के वर्णक्रम का अध्ययन किया और साथ ही एक्सरे डिफ्रेक्शन की तकनीक का उपयोग किया। इन तकनीकों के आधार पर पता चला है कि इन नमूनों में जेरोसाइट नामक खनिज उपस्थित है। यह इस बात का प्रमाण है कि यहां कभी नमीदार, अम्लीय और ऑक्सीकारक वातावरण रहा होगा, जो प्रारंभिक मंगल की परिस्थिति से मेल खाता है।
पहले भी भारत के कई स्थलों से जेरोसाइट की उपस्थिति दर्शाई जा चुकी है मगर यह पहली बार है कि इतने विस्तार में न सिर्फ मैदानी आंकड़े बल्कि एक्सरे, खनिज-संघटन, भू-रासायनिक व इंफ्रारेड वर्णक्रम के आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक मातानोमढ़ का भूवैज्ञानिक परिदृश्य काफी हद तक मंगल पर उपस्थित जेरोसाइट स्थलों से मेल खाता है। मसलन, नासा के मार्स रोवर के उतरने के स्थान (मेरिडिएनी प्लेनम) पर जेरोसाइट करीब 10 प्रतिशत मिला है।

दरअसल, जेरोसाइट का अवक्षेपण उसी वातावरण में होता है जो अत्यंत अम्लीय हो, पानी युक्त हो और जहां गंधक की प्रचुरता हो। ऐसे स्थल पृथ्वी पर बहुत दुर्लभ हैं। ऐसा माना जाता है कि किसी समय मंगल की धरती पर ऐसी परिस्थितियां मौजूद रही होंगी। इसलिए जेरोसाइट का पाया जाना इस बात का काफी पुख्ता प्रमाण माना जा सकता है कि मातानोमढ़ स्थल मंगल का समदर्शी स्थल है। (स्रोत फीचर्स)