चींटियां मज़ेदार जीव हैं। वे सीधे चलते हुए, उल्टे चलते हुए और यहां तक कि बाजू में चलते हुए भी घर का रास्ता नहीं भूलतीं। यह बात करंट बायोलॉजी नामक शोध पत्रिका में सेबेस्टियन श्वार्ज़ और उनके साथियों ने उजागर की है।
चींटियां भोजन की तलाश में दूर-दूर तक भटकती हैं। दूर-दूर तक मतलब चींटी की अपनी साइज़ के हिसाब से दूर-दूर तक। भोजन मिलने पर वे उसे लेकर घर जाती हैं। भोजन का टुकड़ा छोटा हो तो वे उसे धकेलते हुए ले जाती हैं। ऐसे में उन्हें रास्ता दिखता रहता है। मगर जब भोजन का टुकड़ा बड़ा हो तो वे उसे धकेलने की बजाय मुंह से पकड़कर खींचती हैं। यानी वे उल्टी चलती हैं। इस समय उनको रास्ता या रास्ते के मील के पत्थर तो दिखाई नहीं देते। तब वे सही रास्ते पर कैसे चल पाती हैं?
इस सवाल का जवाब पाने के लिए श्वार्ज़ और उनके साथियों ने स्पेन की कुछ रेगिस्तानी चींटियों के साथ प्रयोग किए। सबसे पहले तो उन्होंने चींटियों की एक चालू बांबी खोज निकाली और फिर उसके आसपास इस तरह अवरोध लगा दिए कि चींटियां एक खास रास्ते पर चलने को मजबूर हो गईं। जब चींटियां इस भूलभुलैया से परिचित हो गईं तो शोधकर्ता उन्हें उठाकर भोजन का एक टुकड़ा पकड़ा देते और नई जगह पर रख देते। यह जगह ऐसी चुनी जाती थी कि चींटी को घर की ओर जाने के लिए पहले समकोण पर मुड़ना पड़े।
शोधकर्ताओं ने देखा कि जिन चींटियों को छोटा टुकड़ा दिया गया, उन्हें तो कोई परेशानी नहीं हुई; वे फौरन मुड़कर सीधा रास्ता पकड़ लेती थीं। शायद इसलिए कि वे सीधे चल रही होती थीं और रास्ता दिखता रहता था।

मगर जिन चीटियों को उल्टा चलना पड़ा, वे थोड़ा ठिठक जाती थीं। भोजन का टुकड़ा छोड़कर वे पहले आसपास का मुआयना करतीं। शायद अपने अंदरुनी नक्शे को नए सिरे से व्यवस्थित करती थीं और फिर वापिस मुड़कर भोजन का टुकड़ा पकड़तीं और सही दिशा में उल्टे कदमों से चल पड़तीं। शोधकर्ताओं का विचार था कि वे दिशा ज्ञान के लिए सूरज की स्थिति का सहारा भी लेती हैं। इसकी जांच के लिए उन्होंने ऐसे दर्पण लगा दिए कि सूरज आसमान की विपरीत दिशा में नज़र आने लगता था। ऐसा करने पर चींटियां सचमुच विपरीत दिशा में आगे बढ़ गईं।
अपने अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं को लगता है कि घर की दिशा जानने के लिए चींटियां कई संकेतों को जोड़कर उपयोग करती हैं - स्थानीय चिंह, सूरज की स्थिति और स्वयं अपनी स्थिति। यह व्यवहार काफी रोचक है क्योंकि इसके लिए तीन तरह की स्मृतियों की ज़रूरत है: रास्ते के दृश्य की स्मृति, नई दिशा की स्मृति और भोजन जहां छोड़ा था, उसकी स्मृति। तो चींटियां उम्दा यायावर हैं। (स्रोत फीचर्स)