एक अध्ययन में पता चला है कि ऑर्गेनोफॉस्फेट आधारित कीटनाशकों के उपयोग से मधुमेह होने का जोखिम बढ़ जाता है। ऑर्गेनोफॉस्फेट और मधुमेह के बीच कड़ी का अंदेशा कई रोग-प्रसार वैज्ञानिक अध्ययनों से किया गया था। अब मदुरै कामराज विश्वविद्यालय के जी. वेलमुरुगन और उनके साथियों द्वारा किए गए प्रयोगों ने इस कड़ी को पुष्ट किया है।
ऑर्गेनोफॉस्फेट समूह के कीटनाशकों में पैराथियॉन, मैलाथियॉन वगैरह से तो सभी परिचित हैं। यह भी जानी-मानी बात है कि इनसे लगातार संपर्क से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। मगर वेलमुरुगन के दल ने पहली बार ऑर्गेनोफॉस्फेट कीटनाशकों और मधुमेह का सम्बंध दर्शाया है।

चूहों पर किए गए प्रयोगों में देखा गया कि 180 दिनों तक ऑर्गेनोफॉस्फेट की खुराक देने के बाद उनके खून में ग्लूकोज़ का स्तर लगातार बढ़ा रहा। आंतों में उपस्थित बैक्टीरिया ने कीटनाशक को लघु- ाृंखला वसा अम्लों में विघटित कर दिया। इनमें एसीटिक अम्ल प्रमुख था। इसी की वजह से रक्त शर्करा का स्तर बढ़ा और ग्लूकोज़ असहिष्णुता भी पैदा हुई। ये निष्कर्ष जीनोम बायोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं। जब वैज्ञानिकों ने ऑर्गेनोफॉस्फेट के संपर्क में आए चूहों की आंतों के बैक्टीरिया के संपूर्ण जीनोम का विश्लेषण किया तो पाया कि उनमें ऑर्गेनोफॉस्फेट का विघटन करने वाले जीन अति-सक्रिय थे।

वेलमुरुगन के दल को इस अध्ययन का विचार इसलिए आया था क्योंकि वे देख चुके थे कि भारत के गांवों में जो लोग लगातार कीटनाशकों के संपर्क में आते हैं उनमें मधुमेह का प्रकोप अन्य लोगों की अपेक्षा तीन गुना ज़्यादा होता है। कीटनाशक-प्रेरित मधुमेह में आंतों के बैक्टीरिया की भूमिका इस बात से ज़ाहिर होती है कि मधुमेह पीड़ित व्यक्तियों के मल में एसिटेट की मात्रा सामान्य से ज़्यादा होती है। (स्रोत फीचर्स)