वैज्ञानिकों ने गहरे समुद्र के पेंदे में मौजूद लाल मिट्टी में अनोखे सूक्ष्मजीव खोजने का दावा किया है। ये सूक्ष्मजीव प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा कार्बन डाईऑक्साइड और पानी से कार्बोहाइड्रेट का उत्पादन करते हैं। सवाल यह है कि प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश आवश्यक होता है, तो इन सूक्ष्मजीवों को वहां गहराई में प्रकाश कैसे मिलता है।
गहरे समुद्र की लाल मिट्टी लौह ऑक्साइड से बनी होती है और इसमें सूक्ष्मजीवी सक्रियता देखी गई है। समुद्र की गहराई में हाइड्रो-थर्मल सुराख होते हैं जिनमें रासायनिक क्रियाओं से गर्मी पैदा होती रहती है। ये सूक्ष्मजीव इसी गर्मी में फलते-फूलते हैं। सूक्ष्मजीवों की कई प्रजातियां इन स्थानों पर पाई जाती हैं, मगर इस प्राकृतवास की भलीभांति खोजबीन नहीं की गई है।

लाल मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की पहचान का यह काम महाराष्ट्र एसोसिएशन फॉर कल्टीवेशन ऑफ साइन्स के अगरकर शोध संस्थान, राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, इसरो तथा भौतिकी अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूप से किया है। इन्होंने गहरे समुद्र की लाल मिट्टी में पाए गए विविध सूक्ष्मजीवों के जीन्स का क्षार अनुक्रम पता किया है। इस समृद्ध सूक्ष्मजीव संसार में खास तौर से छड़ आकार के बैक्टीरिया पाए गए हैं। ये वहां मौजूद मीथेन-उत्पादक बैक्टीरिया की प्रक्रियाओं से उत्पन्न रोशनी का उपयोग प्रकाश संश्लेषण हेतु करते हैं।

लाइफ साइन्स स्पेस रिसर्च शोध पत्रिका में प्रकाशित इन निष्कर्षों के आधार पर शोधकर्ताओं का मत है कि इस तरह के प्राकृतवासों में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव हमें यह समझने में मदद कर सकते हैं कि लौह धातु ने इनके विकास को कैसे दिशा दी है। इस शोध का एक लाभ यह भी है कि हमें यह निर्णय करने में मदद मिलेगी कि मंगल ग्रह पर कहां कदम रखने से जीवन मिलने की संभावना ज़्यादा है। (स्रोत फीचर्स)