पाई () का मान विज्ञान में बहुत महत्व रखता है। सरल शब्दों में पाई का मतलब है कि वृत्त की परिधि और व्यास का अनुपात। यह एक स्थिरांक है। इसकी खोज किसने की थी, यह बताना तो बहुत आसान नहीं है किंतु पाई एक अपरिमेय संख्या है। अपरिमेय संख्या का मतलब होता है कि वह एक भिन्न संख्या होती है जिसका पूरा-पूरा मान कभी नहीं निकाला जा सकता। सामान्य भिन्न में लिखें तो इसे 22/7 लिखते हैं किंतु जब इसे दशमलव में परिवर्तित करते हैं तो दशमलव के बाद कितने भी अंक निकालते जाएं पूरा भाग नहीं जाता। हम इसे 3.14... के रूप में जानते हैं।
पाई का मान 3.14 है इसलिए 14 मार्च के दिन पाई दिवस मनाया जाता है। इस बार के पाई दिवस पर हमने पाई का मान दशमलव के बाद 100 खरब अंकों तक निकाल लिया है। यह कमाल पाई-उत्साही पीटर टØएब ने 105 दिनों तक चौबासों घंटे गणना करने के बाद 2016 नवंबर में किया है। उन्होंने 24 हार्ड डिस्क (प्रत्येक डिस्क 6 टेराबाइट्स) वाला कंप्यूटर तैयार किया ताकि हर चरण के बाद की जानकारी को सहेजा जा सके। इसके लिए एक खास कंप्यूटर प्रोग्राम का भी इस्तेमाल किया गया था।
220 खरब अंकों वाला पाई का यह मान कंप्यूटर की जिस फाइल में रिकॉर्ड किया गया है उसका आकार 9 टेराबाइट है। यदि इस मान को किताब के रूप में छापा जाए तो 1-1 हज़ार पृष्ठों वाली दस लाख किताबें कम पड़ेंगी। तो यह सब करके साढ़े तीन महीने की मेहनत से पाई का जो मान निकला वह अत्यंत सटीक है। सवाल यह उठता है कि इतने सटीक मान की ज़रूरत क्या है, क्यों पाई के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं?
देखा जाए, तो अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अंतरिक्ष में रॉकेट प्रक्षेपण के लिए पाई के जिस मान का उपयोग करती है उसमें दशमलव के बाद मात्र 15 अंक हैं। और बताते हैं कि ब्रह्मांड की जटिल व सूक्ष्म गुत्थियों को सुलझाने के लिए भी अधिक से अधिक 40 अंकों की ज़रूरत पड़ेगी। लिहाज़ा कई लोगों का मत है कि पाई के मान की अधिक से अधिक अंकों तक गणना करने की सनक के पीछे कंप्यूटर की क्षमता के प्रदर्शन की ललक है।
कुछ लोगों का मानना है कि पाई के मान को और अधिक सटीकता से पता करने की प्रेरणा कुछ और है। पाई एक अपरिमेय संख्या है। यानी हम इसके अंकों की गणना करते जा सकते हैं। ढेर सारे अंकों की गणना करने के बाद शायद पता चलेगा कि इनमें से कोई भी अंक किसी अन्य की तुलना में ज़्यादा बार नहीं दोहराया जाता। यदि किसी अपरिमेय संख्या में कोई भी अंक अन्य अंकों की तुलना में ज़्यादा बार नहीं दोहराया जाता तो उस अपरिमेय संख्या को ‘सामान्य’ कहते हैं। पाई के मान को आगे बढ़ाते जाने के पीछे एक कोशिश यह भी लगती है कि इसकी ‘सामान्यता’ को प्रमाणित किया जाए, हालांकि वास्तविक दुनिया में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। एक बात और भी है - पाई को सामान्य साबित करना सिर्फ गणनाओं के आधार पर नहीं हो सकता। इसके लिए गणितीय प्रमाण की आवश्यकता होगी। (स्रोत फीचर्स)