आम तौर पर मानकर चला जाता है कि पिछले तीन दशकों में संयुक्त राज्य अमेरिका में मक्का की उपज में जो वृद्धि हुई है वह नई कृषि तकनीकों के कारण हुई है। इनमें बेहतर बीज तथा रासायनिक उर्वरक प्रमुख घटक रहे हैं। मगर ताज़ा अध्ययन से निष्कर्ष निकला है कि मक्का की उपज में वृद्धि का एक बड़ा कारण वहां धरती पर पड़ने वाली धूप की मात्रा में वृद्धि भी है। गौरतलब है कि पौधे सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा का उपयोग कार्बन डाईऑक्साइड और पानी से कार्बोहाइड्रेट बनाने में करते हैं। इसे प्रकाश संश्लेषण कहते हैं। इस प्रक्रिया की कार्य क्षमता कई कारकों के अलावा प्रकाश की मात्रा पर भी निर्भर होती है।

नेचर क्लाइमेट चेंज नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक 1984 से 2013 के बीच यूएस के मक्का उत्पादक क्षेत्र में उपज में वृद्धि का कम से कम 27 प्रतिशत हिस्सा प्रकाश की मात्रा में वृद्धि के फलस्वरूप हुआ है। यह बात कई शोधकर्ता कहते आए हैं कि पश्चिमी देशों में कृषि उपज में वृद्धि का एक कारण यह रहा है कि वहां धरती तक पहुंचने वाली धूप में वृद्धि हुई है। धूप की मात्रा में वृद्धि का कारण यह बताते हैं कि 1980 के दशक से इन देशों में स्वच्छ हवा सम्बंधी कानून लागू किए गए थे जिसकी वजह से यहां की हवा में निलंबित कणों (एयरोसॉल) की मात्रा में कमी आई है। ऐसे निलंबित कण सूर्य के प्रकाश को सोखते हैं या छितरा देते हैं जिसकी वजह से ज़मीन पर पर्याप्त प्रकाश नहीं पहुंच पाता।
इस उपज वृद्धि में एक समस्या भी छिपी है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुमान लगाते समय यह माना जाता है कि जब तापमान बढ़ेगा तो कृषि उपज बढ़ेगी किंतु वह तो पहले ही बढ़ चुकी है। इसलिए शायद जलवायु परिवर्तन के विभिन्न मॉडल्स द्वारा उपज में जितनी वृद्धि के अनुमान लगाए जा रहे हैं वह वास्तव में नहीं होगी। (स्रोत फीचर्स)