हाल ही में ज़िका वायरस के प्रसार ने स्वास्थ्य हलकों में हलचल पैदा कर दी है। यह वायरस फ्लू जैसे लक्षण पैदा करता है और जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसे फैलाने का काम मच्छर की एडीस प्रजाति करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर में इस मच्छर पर नियंत्रण की योजना बनाई है जिसे जल्द ही विश्व स्वास्थ्य सभा के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के उपेक्षित कटिबंधीय बीमारियों के संदर्भ में वाहक जीव नियंत्रण विभाग के प्रमुख रामन वेलयुधन का कहना है कि हम सदा कोई बीमारी फैल जाने पर प्रतिक्रिया स्वरूप कार्रवाई करते हैं किंतु ज़रूरत इस बात की है कि हम रोकथाम के लिए पहले से काम करें।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की योजना मुख्य रूप से एडीस मच्छरों पर नियंत्रण की है। यह मच्छर ज़िका वायरस के अलावा डेंगू, चिकनगुनिया और पीत ज्वर जैसे रोगों का भी वाहक है। 1970 से पूर्व यह मच्छर मात्र 7 देशों में खतरा पैदा करता था किंतु आज 140 देश इसकी चपेट में हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की योजना मच्छर नियंत्रण के पूर्व अनुभवों पर ही आधारित होगी। इसके अंतर्गत कीटनाशकों का छिड़काव और मच्छरदानी को बढ़ावा देना प्रमुख रणनीतियां होंगी। संगठन का मानना है कि इन रणनीतियों के इस्तेमाल की बदौलत वर्ष 2000 के बाद से मच्छर-वाहित रोगों का प्रकोप आधा रह गया है। वैसे इस बार मच्छरों के खिलाफ कार्रवाई का फोकस घनी बस्ती वाले शहरी इलाके होंगे। मच्छर ऐसे ही इलाकों में ज़्यादा पनपते हैं। संगठन ने देशों से निगरानी के उपाय सघन करने और बीमारी की पहचान के लिए व्यवस्था मज़बूत करने का आव्हान किया है। (स्रोत फीचर्स)