मंगल के वायुमंडल में कुछ ऐसी प्रक्रियाएं चल रही हैं जिनकी व्याख्या पृथ्वी के वायुमंडल को आधार मानकर नहीं की जा सकती। इनमें से सबसे रोचक बात यह है कि मंगल के वायुमंडल में धातु के कण पाए गए हैं जिनकी अपेक्षा वहां नहीं की जाती है।
ग्रहों के बीच की जगह में धात्विक धूल पाई जाती है। यह धूल विभिन्न ग्रहों के वायुमंडल में खींच ली जाती है। वायुमंडल में पहुंचकर यह धूल जल उठती है और लौह और मैग्नीशियम जैसी धातुओं के कण बन जाते हैं। ये कण वायुमंडल में तैरते रहते हैं किंतु ज़्यादा भारी कण ज़मीन पर बैठ जाते हैं। पृथ्वी पर इन कणों के व्यवहार को यहां का चुंबकीय क्षेत्र प्रभावित करता है जिसकी वजह से वायुमंडल में इन धातु कणों की एक परत-सी बन जाती है।
सीधी-सी बात यह है कि मंगल पर पृथ्वी के समान चुंबकीय क्षेत्र नहीं है। किंतु वहां के वाय़ुमंडल में भी धातु के कणों की परत पाई गई है। इतना अवश्य है कि मंगल के दक्षिणी गोलार्ध में बहुत दुर्बल चुंबकीय क्षेत्र है किंतु वह इतना दुर्बल है कि उसकी वजह से धात्विक परत नहीं बन सकती। फिर भी नासा के मैवन अंतरिक्ष यान ने मंगल पर ऐसी धात्विक परत का अवलोकन किया है।

इस परत के बारे में एक और दिलचस्प बात है - इसमें लौह और मैग्नीशियम धातुओं के कण लगभग बराबर अनुपात में पाए गए हैं। लौह के कण मैग्नीशियम के कणों से भारी होते हैं। इसलिए इन्हें मंगल की धरती पर जमा हो जाना चाहिए। लेकिन ऐसा क्यों नहीं हुआ, यह भी एक विचारणीय प्रश्न है।
वैज्ञानिकों का विचार है कि मंगल पर जो क्रियाएं इस परत को बनाए रखने में सहायक हैं, वे पृथ्वी पर देखी गई क्रियाओं से भिन्न हैं। यानी मंगल मात्र थोड़ी परिवर्तित पृथ्वी नहीं है, वहां स्वतंत्र क्रियाएं हैं जिनकी व्याख्या के लिए नए मॉडल्स की ज़रूरत होगी। (स्रोत फीचर्स)