एस्पिरिन एक ऐसी औषधि है जिसके नित नए उपयोग सामने आते हैं। पहले-पहल इसे एक पेड़ की पत्तियों से निकाला गया था और इसका उपयोग दर्द निवारक के रूप में किया जाता था। धीरे-धीरे इसका उपयोग गठिया तथा बुखार में किया जाने लगा। फिर बात आगे बढ़ी और एस्पिरिन हृदयाघात, स्ट्रोक्स तथा कुछ किस्म के कैंसर की रोकथाम में भी प्रभावी पाई गई। आज दुनिया भर में एस्पिरिन की वार्षिक खपत 120 अरब गोलियों की है।
एस्पिरिन की इन विभिन्न भूमिकाओं की क्रियाविधियों पर काफी अनुसंधान किया गया है। और अब वैज्ञानिकों ने एस्पिरिन का एक और उपयोग खोज निकाला है। ऐसा कहा जा रहा है कि एस्पिरिन कैंसर कोशिकाओं को शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने से रोकती है - वैज्ञानिक भाषा में एस्पिरिन मेटास्टेसिस को रोकती है। आखिर कैसे? इसे समझने के लिए पहले यह देखना होगा कि मेटास्टेसिस होता कैसे है।
मेटास्टेसिस एक जटिल प्रक्रिया है। विचित्र बात यह है कि इसके लिए कैंसर कोशिका और आपके शरीर की कोशिकाओं के बीच सहयोग की ज़रूरत पड़ती है। सबसे पहले तो कुछ कैंसर कोशिकाओं को अपनी मूल गठान से टूटकर अलग होना पड़ेगा। फिर इन्हें आसपास किसी रक्त वाहिनी की दीवार को पार करके रक्त प्रवाह में पहुंचना पड़ेगा। एक बार ये कोशिकाएं रक्त प्रवाह में पहुंच गईं तो ये शरीर में कहीं भी पहुंच सकती हैं। किंतु कहीं पैर जमाने के लिए इन्हें एक बार फिर रक्त वाहिनी की दीवार को पार करके किसी अंग में प्रवेश करना होगा और वहां कोशिकाओं के बीच समाहित होकर वृद्धि करना होगी। यह कोई आसान काम नहीं है।

हाल ही में बोस्टन के वीमेन्स हॉस्पिटल की एलिसाबेथ बेटिनेली ने दर्शाया है कि इस पूरी प्रक्रिया में रक्त में पाई जाने वाली एक किस्म की कोशिकाओं की भूमिका होती है। ये कोशिकाएं प्लेटलेट्स कहलाती हैं और इनकी सबसे मशहूर भूमिका खून का थक्का बनने में देखी गई है। कहीं भी चोट वगैरह लगने पर ये प्लेटलेट्स गुच्छा-सा बना लेती हैं और खून के बहाव को रोक देती हैं।
कैंसर कोशिकाएं सबसे पहले प्लेटलेट कोशिकाओं से निकलने वाले रासायनिक संकेतों का अपहरण कर लेती हैं। ये रासायनिक संकेत आम तौर पर रक्त वाहिनी की दीवारों में किसी भी क्षति की मरम्मत का संकेत होते हैं। किंतु कैंसर कोशिकाओं के साथ जुड़कर ये कैंसर कोशिका को रक्त वाहिनी की दीवार को पार करने में मदद करते हैं। रक्त प्रवाह में पहुंचकर कैंसर कोशिका अपने आसपास प्लेटलेट्स का एक नकाब तैयार कर लेती हैं ताकि शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र से ओझल रहें। जब ये कैंसर कोशिकाएं शरीर के किसी अन्य स्थान पर जाकर रक्त वाहिनी में से बाहर निकल जाती हैं तो प्लेटलेट कोशिकाएं फिर इनकी मदद करती हैं। इन प्लेटलेट कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं से निर्देश मिलता है कि वे नई रक्त वाहिनियां तैयार करवाए ताकि कैंसर कोशिका को भोजन और ऑक्सीजन की सप्लाई होती रहे।
तो इस कहानी में एस्पिरिन कहां फिट बैठती है? एस्पिरिन की एक जानी-मानी भूमिका खून का थक्का बनने से रोकने की है। एस्पिरिन की उपस्थिति में कैंसर कोशिकाओं को प्रतिरक्षा तंत्र से छिपने के लिए प्लेटलेट्स का आवरण बनाने में मुश्किल होती है। (स्रोत फीचर्स)