डॉ. ओ.पी. जोशी


पेड़ों की ऊंचाई कौन तय करता है? यह लेख स्रोत फरवरी 2017 के अंक में पढ़कर यह निष्कर्ष निकला कि पेड़ की ऊंचाई का नियंत्रण गुरुत्वाकर्षण बल, ऊर्जा का गणित एवं पेड़ों के शीर्ष स्थानों पर नलिकाओं (ट्रेकिड्स) द्वारा जल पहुंचाने के आधार पर होता है। भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही पर्वतों की ऊंचाई 15,000 मीटर से ज़्यादा नहीं होती है। जब गुरुत्वाकर्षण बल पर्वतों की ऊंचाई निर्धारित कर सकता है तो पेड़ों के संदर्भ में भी यह सही होगा, परंतु कुछ अन्य कारक भी इसमें शामिल होंगे। आनुवंशिकी वैज्ञानिकों की यह दृढ़ मान्यता है कि जीवों में पाए जाने वाले अलग-अलग गुणों का निर्धारण डीएनए की बनी रचनाओं या इकाइयों से होता है जिन्हें जीन्स कहा जाता है। आनुवंशिकी के जनक ग्रेगर जॉन मेंडल ने सात वर्षों (1856 से 1863) तक जो प्रयोग मटर के पौधों पर किए थे वे अलग-अलग गुणों पर आधारित थे एवं इनमें एक गुण ऊंचाई का भी था। ऊंचाई के संदर्भ में लंबे पौधे का संकरण बौने पौधे के साथ करवाया एवं बाद में स्पष्टीकरण में बताया कि लंबे व बौने पौधों की ऊंचाई के लिए दो कारक ज़िम्मेदार होते हैं। मेंडल के यही कारक बाद में जीन्स के नाम से जाने गए। मेंडल का यह प्रयोग स्थापित करता है कि ऊंचाई का निर्धारण आनुवंशिक है जिसमें थोड़ा बहुत बदलाव आगे की पीढ़ियों में आता है। पादप शरीर क्रिया विज्ञान (प्लांट फिज़ियोलॉजी) की पुस्तकों में दर्शाया गया है कि लम्बाई बढ़ने में कुछ रसायनों की भी भूमिका होती है जिन्हें वृद्धि हार्मोन कहा जाता है।

इंडोल एसिटीक एसिड एक ऐसा ही हार्मोन है जिसका निर्माण पौधों के शीर्षस्थ भागों पर होता है एवं नीचे आकर यह वृद्धि में सहायक होता है। इस हार्मोन का निर्माण एवं क्रियाशीलता भी आनुवंशिकी से नियंत्रित हो सकती है। पौधों के पोषण से जुड़े वैज्ञानिकों के अनुसार कई तत्व भी पौधों की जैविक क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। इस संदर्भ में किए गए प्रयोग दर्शाते हैं कि नाइट्रोजन की कमी वृद्धि को घटा देती है तथा कैल्शियम व बोरान की कमी शीर्ष भागों की कोशिकाओं के समूह को मृत बना देती है। काफी वर्षों पूर्व साइंस रिपोर्टर में एक लेख नेचर ऑर नर्चर (प्रकृति या परवरिश) शीर्षक से पढ़ा था। लेख में यह प्रश्न उठाया गया था कि बड़ा या निर्णायक कौन होता है प्रकृति या परवरिश? प्रकृति यदि जीवों को फलने-फूलने हेतु उचित निर्देश प्रदान करती है तो पोषण उन्हें स्वस्थ या हृष्ट पुष्ट बनाता है। दोनों की अपनी-अपनी सीमाएं होती है। किसी पौधों के लिए अनुकूल पर्यावरण बनाकर अच्छा पोषण दिया जाए तो वह बहुत स्वस्थ तो होगा परन्तु यह ज़रूरी नहीं है कि उसकी ऊंचाई बढ़ती ही जाए। ऊंचाई का नियंत्रण आनुवंशिकी से ही होगा। अंतरिक्ष में जब कुछ पौधे उगाए गए तो वे लगभग वैसे ही फले-फूले जैसा पृथ्वी पर होते हैं जबकि वहां गुरुत्वाकर्षण बल क्षीण होता है।

हो सकता है कि पर्यावरण, पोषण, गुरुत्वाकर्षण, वृद्धि हार्मोन, ऊर्जा का गणित एवं आनुवंशिकी कारक मिल-जुलकर पेड़ की ऊंचाई तय करते होंगे परंतु प्रमुख भूमिका आनुवंशिकी की ही रहती होगी। पेड़ों की ऊंचाई निर्धारण का प्रश्न रोचक है। इस पर और शोध किया जाना चाहिए। एक ही जाति के दो पास-पास लगे पेड़ों की ऊंचाई भी एक समान नहीं होती है। (स्रोत फीचर्स)