विज्ञान में कई प्रयोग, अवलोकन, परियोजनाएं ऐसी हैं जिनमें ढेरों आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं। इन आंकड़ों का विश्लेषण कंप्यूटरों की मदद से किया जाता है। किंतु आंकड़ों की भारी मात्रा को देखते हुए इनका विश्लेषण करने के लिए ज़बरदस्त कंप्यूटर शक्ति की ज़रूरत होती है। इसके अलावा, इस विश्लेषण को करके परिणाम हासिल करने के लिए बहुत सारे लोगों की भी ज़रूरत होती है। इसका एक तरीका यह निकाला गया है कि ये आंकड़े आम लोगों को उनके कंप्यूटर पर उपलब्ध करा दिए जाएं और उन्हें इनके विश्लेषण के काम में जोड़ा जाए।

ऐसी ही एक परियोजना ज़ूनिवर्स द्वारा एक्सोप्लेनेट एक्सप्लोरर्स के नाम से शुरु की गई थी। इस परियोजना के तहत केपलर अंतरिक्ष दूरबीन के सारे आंकड़े नागरिक-वैज्ञानिकों को खंगालने का अवसर दिया गया। यह काम वे अपने घरेलू कंप्यूटर से कर सकते हैं। काम यह था कि वे यह देखें कि केपलर दूरबीन से जो तारे दिख रहे हैं उनके प्रकाश का ग्राफ समय के साथ किस तरह बदलता है। जब कोई ग्रह अपने तारे (सूरज) के सामने से गुज़रता है तो तारे से हम तक पहुंचने वाले प्रकाश में थोड़ी मंदी आती है। उपरोक्त नागरिक-वैज्ञानिकों को करना यह था केपलर दूरबीन के आंकड़ों में विभिन्न तारों के प्रकाश के ग्राफ का अध्ययन करें और उसमें होने वाले परिवर्तनों को रिकॉर्ड करें।

परियोजना 4 अप्रैल को शुरु हुई थी और इतने दिनों में नागरिक-वैज्ञानिकों ने मिलकर 10 लाख से ज़्यादा प्रकाश ग्राफ्स का वर्गीकरण कर लिया है और सौर मंडल से बाहर अन्य तारों के चक्कर लगाते 184 संभावित ग्रहों की खोज की है। इनमें से 53 को महा-पृथ्वियों की श्रेणी में रखा गया है।
इनमें सेे चार महा-पृथ्वियां हमसे करीब 597 प्रकाश वर्ष की दूरी पर कुंभ (एक्वेरियस) तारामंडल में एक तारे की परिक्रमा कर रही हैं। इनमें से एक आकार में पृथ्वी से दुगनी बड़ी है जबकि सबसे बड़ी वाली पृथ्वी से पौने तीन गुना बड़ी है। इन ग्रहों को अपने तारे की परिक्रमा करने में पृथ्वी के 3 से 13 दिन तक लगते हैं। इनकी खोज के साथ ही अब चार या उससे अधिक ग्रहों वाले तारों की संख्या बढ़कर 74 हो गई है। (स्रोत फीचर्स)