भौतिक शास्त्रियों ने एक नया गणितीय मॉडल विकसित किया है जिसकी मदद से पदार्थ के सबसे बुनियादी कणों के व्यवहार को समझना संभव होगा। कोलकाता के इंडियन एसोसिएशन फॉर दी कल्टीवेशन ऑफ साइन्स के देब शंकर राय और इस्राइल के वाइज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइन्स के अर्णब घोष ने मिलकर भौतिकी का यह मॉडल तैयार किया है।
बुनियादी कण दो प्रकार के होते हैं - फर्मियॉन और बोसॉन। गौरतलब है कि इनके ये नाम दो वैज्ञानिकों - फर्मी और बोस - के नाम पर रखे गए हैं। ये दो प्रकार के कण अत्यंत कम तापमान पर सर्वथा अलग-अलग ढंग से व्यवहार करते हैं।
फोटॉन जैसे कण बोसॉन होते हैं और ये अत्यंत कम तापमान पर एक ही क्वांटम अवस्था में ढेर हो जाते हैं। इसके चलते पदार्थ की जो अवस्था सामने आती है उसे बोस-आइंस्टाइन संघनित कहते हैं। इस अवस्था को समझने के लिए गणितीय मॉडल के विकास में भारतीय वैज्ञानिक सत्येंद्र नाथ बोस का महत्वपूर्ण योगदान रहा था।
दूसरी ओर, इलेक्ट्रॉन जैसे कण फर्मियॉन किस्म के होते हैं और ये एक ही क्वांटम स्थिति में नहीं रह सकते। अर्णब घोष और शंकर राय ने मिलकर इन्हीं फर्मियॉन के व्यवहार का वर्णन करने के लिए गणितीय मॉडल तैयार किया है।

उन्होंने फर्मियॉन की संघनित अवस्था को बॉर्न-कोठारी संघनित (बीकेसी) नाम दिया है। यह नाम उन्होंने भौतिक शास्त्रियों मैक्स बॉर्न और दौलत सिंह कोठारी के नाम पर दिया है, जिन्होंने इस अवस्था की अवधारणा सुझाई थी। फिज़िकल रिव्यूज़ ए में प्रकाशित शोध पत्र के मुख्य शोधकर्ता अर्णब घोष का कहना है कि जिस तरह बोस-आइंस्टाइन संघनित अवस्था की उपस्थिति का प्रायोगिक प्रमाण खोजा गया था उसी तरह भविष्य में केबीसी का भौतिक अस्तित्व भी प्रमाणित हो जाएगा। (स्रोत फीचर्स)