आजकल घनाकार उपग्रह (क्यूबसैट) छोड़ने की योजनाएं बन रही हैं। हाल ही में नासा ने पृथ्वी के वायुमंडल के अध्ययन के लिए बीसियों घनाकार उपग्रह छोड़े हैं। निजी कंपनियां भी ऐसे क्यूबसैट छोड़ने की योजना बना रही हैं। और यह सब किया जा रहा है ताकि धरती के कोने-कोने में निर्बाध वायरलेस नेटवर्क (वाई-फाई) उपलब्ध कराया जा सके। ऐसे उपग्रहों की संख्या को देखते हुए विशेषज्ञों ने इन्हें महा-नक्षत्रों की संज्ञा दी है और अंतरिक्ष के भविष्य को लेकर चिंता जताई है।
वर्ष 2014 में ही इस तरह की चिंताएं व्यक्त की गई थीं जब प्रति वर्ष 100 के आसपास क्यूबसैट्स छोड़े जा रहे थे। तब से इनकी तादाद में भारी इज़ाफा हुआ है। फिलहाल अंतरिक्ष में मात्र 1300 उपग्रह हैं। किंतु वनवेब नामक कंपनी ने 2018 तक 648, बोइंग ने 2900 और सैमसंग व स्पेस-एक्स ने 4-4 हज़ार क्यूबसैट अंतरिक्ष में स्थापित करने की योजना बनाई है।

यूके के साउथेम्पटन विश्वविद्यालय के हग लुइस और उनके साथियों ने सुपर कंप्यूटर की मदद से स्थिति का विश्लेषण करके बताया है कि अंतरिक्ष में उपग्रहों की इस भीड़ के चलते नए नियम कानून बनाने का वक्त आ गया है। उनका विश्लेषण दर्शाता है कि इस तरह की स्थिति में उपग्रहों के आपस में टकराने की संभावना में 50 प्रतिशत वृद्धि होगी। इस तरह की टक्करों के बाद अंतरिक्ष में जो मलबा इकट्ठा होगा वह अन्य बड़े उपग्रहों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इस तरह केसलर सिंड्रोम नामक एक  ाृंखला क्रिया शुरु हो जाएगी। इसका नाम नासा के वैज्ञानिक डोनाल केसलर के नाम पर रखा गया था जिन्होंने 1978 में इस प्रक्रिया का गणित विकसित किया था।

इन क्यूबसैट्स की एक विशेषता यह है कि इनमें कोई मोटर या अन्य उपकरण नहीं लगे होते कि इन्हें टकराने से बचाया जा सके। इसके अलावा, इन क्यूबसैट्स से उत्पन्न मलबा इतने छोटे टुकड़ों के रूप में होगा कि वर्तमान तकनीकों की मदद से उसे देखा भी नहीं जा सकेगा।
नए नियम के जो प्रस्ताव दिए गए हैं उनमें सबसे प्रमुख तो यह है कि क्यूबसैट्स पर ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि उसके मार्ग को बदला जा सके। दूसरा बड़ा सुझाव उनको नष्ट करने के बारे में है। फिलहाल नियम यह है कि किसी उपग्रह का मिशन पूरा होने के 25 साल के अंदर उसे कक्षा से बाहर कर दिया जाए या जला दिया जाए। क्यूबसैट की संख्या के मद्देनज़र 25 साल बहुत लंबी अवधि है। इसे कम करना ज़रूरी होगा। एक मुद्दा यह भी कि वर्तमान में मलबे के प्रबंधन के जो नियम कायदे हैं उनका पालन स्वैच्छिक है। लुइस का मत है कि क्यूबसैट के संदर्भ में इन नियमों को बंधनकारी बनाना होगा। (स्रोत फीचर्स)